MP Flood: बाढ़ में उजड़ गया घर, भूख प्यास से तड़प रहे ग्रामीण, गंदा पानी पीने को मजबूर

Atul Saxena
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मुरैना, संजय दीक्षित। ग्वालियर चम्बल संभाग के जिलों में पिछले दिनों आई बाढ़ का मंजर जिसने भी देखा वो कांप गया। सरकार के तत्काल एक्शन और बचाव दलों की अथक मेहनत से तमाम जिंदगियां तो बच गई लेकिन ग्रामीणों की जीवन भर की पूंजी बाढ़ में बह गई। नदियों का पानी तो उतर गया गई लेकिन बाढ़ की तबाही के निशान छोड़ गया है , हालात ये हैं कि बहुत से गांव ऐसे हैं जहाँ रहने वाले ग्रामीणों के पास ना रहने के लिए घर है और ना खाने के लिए  भोजन। पीने का साफ पानी भी उनके पास नहीं है मज़बूरी में वे गंदा पानी पीकर गुजारा कर रहे हैं।

मुरैना शहर से करीब 38 किलोमीटर दूर अंबाह ब्लॉक के भागना गांव में क्वारी नदी में आई बाढ़ से लोग घर बेघर हो गए हैं। नदी के पास बने गांव में बाढ़ के पानी का ऐसा मंजर आया कि ग्रामीणों को संभलने का मौका नहीं मिला। उनके घरों  की दीवार ढह गई। खाने-पीने का सामान और पशु तक पानी में बह गए। जीवन भर की जमा पूंजी चंद घंटों में ही मिट्टी के ढेर में तब्दील हो गयी। गांव में केवल बंजर जमीन ही रह गई।

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ग्रामीणों का कहना है कि क्वारी नदी का जल स्तर तो उतर गया है लेकिन बर्बादी के निशान जिंदगी भर के लिए छोड़ गई है। जब एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ की टीम ने भागना गांव का मौका मुआयना किया तो गांव में जाने वाली सड़क में करीब 4 से 5 फुट के गड्ढे मिले। गांव में पहुंचने तक का रास्ता पूरी तरह से खत्म हो चुका था। रास्ते से पैदल जा कर जैसे तैसे गांव में पहुंचे तो लोगों का भूख से बुरा हाल था। छोटे छोटे बच्चे पेड़ के नीचे किसी आस में बैठे थे। क्वारी नदी की बाढ़ से पक्के मकान भी टूट कर चकनाचूर हो गए, आसपास बनी झुग्गी झोपड़ी तो पानी में बह गयी।

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एमपी ब्रेकिंग न्यूज़ ने जब इस मामले में भागना गांव के ग्रामीण श्रीराम कुशवाहा से बातचीत की तो उनका कहना था कि पक्का मकान पूरी तरह से टूट गया है उन्होंने बड़ी मुश्किल से अपनी एक एक पूंजी जोड़कर मकान बनाया था। वह भी बाढ़ ने छीन लिया। मकान को फिर से बनाने के लिए पैसे कहां से लाएंगे, अब तो हमारे परिवार पर भूखे मरने की नौबत आ चुकी है। श्रीराम कुशवाहा के बेटे पोप सिंह ने बताया कि गांव में पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं है। हैंडपंप खराब पड़ा हुआ है, कुएं हैं लेकिन उसमें गंदा पानी आ रहा है। परिवार वाले कुएं का गंदा पानी पीने के लिए मजबूर है। हमारे परिवार में करीब 10 बीघा जमीन थी जो पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है।  आसपास के लोग खाना लेकर आ जाते हैं। उससे हमारे घर का गुजारा हो रहा है। ऐसा कब तक चलेगा कब तक मांग मांग कर खाते रहेंगे, समझ नहीं आ रहा।

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परेशान ग्रामीणों ने कहा प्रशासन अगर हमारे खाने पीने की व्यवस्था कर तो किसी के घर पर मांगने के लिए क्यों जाएंगे? ग्रामीणों ने बताया कि सरकार की तरफ से हमारे यहां कोई व्यवस्था नहीं की गई है। मकान टूटने के बाद घर में सोने के लिए भी जगह नहीं बची है। रात को बाहर सोते समय मनीष कुशवाहा नामक युवक को सांप ने काट लिया था।  सांप अधिक जहरीला नहीं था जल्द ही दवा लगाकर उसका असर खत्म किया गया।

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पोप सिंह ने बताया कि आए दिन घर के बाहर सांप बिच्छू रहते हैं ऐसे में घर के बाहर सोना भी जिंदगी के लिए खतरा बना हुआ है, न जाने कब किसको मौत आ जाए। गांव के सरपंच से खाने के लिए बोला तो सरपंच ने कहा कि घर पर आ जाओ और पूड़ी सब्जी के पैकेट ले जाना । एक पैकेट पूड़ी सब्जी से दिनभर का गुजारा नहीं चल पा रहा है। उन्होंने प्रशासन से गुहार लगाई है कि हमारे खाने-पीने और रहने की व्यवस्था जल्द ही कराई जाए। जिससे हमारा परिवार इस संकट की घड़ी से उभर सके।

 


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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