MP News – HC का आदेश, ट्विटर को लेकर चार हफ्ते में केंद्र सरकार रखे अपना पक्ष

Atul Saxena
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Jabalpur News

जबलपुर, संदीप कुमार। दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) के बाद भारत (India) को लेकर रुख सामने आने के बाद ट्विटर (Twitter) लगातार चर्चाओं और विवादों में है। अब हिंदी (Hindi) भाषा को मान्यता नहीं दिए जाने का मामला सामने आया है। मध्यप्रदेश (MP) के एक पूर्व विधायक (Ex MLA) ने इस मामले में एक जनहित याचिका मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बैंच (Jabalpur High Court) में लगाई है। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट (HC) ने केंद्र सरकार (Central Government) को अपना पक्ष रखने के लिए नोटिस (Notice) जारी किया है।

ट्विटर (Twitter) द्वारा हिन्दी भाषा को मान्यता नहीं दिये जाने के खिलाफ मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) में जनहित याचिका दायर की गयी है। याचिका में कहा गया है कि हिन्दी भाषा को मान्यता नहीं दिये जाने के कारण विदेश में हिन्दी भाषा में किये गये ट्वीट (Tweet) को अंग्रेजी में ट्रांसलेट कर दिखाया जाता है जिससे कई बार अर्थ का अनर्थ हो जाता है, हाईकोर्ट (HC) ने इस मामले में केन्द्र सरकार (Central Government) को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है।

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पूर्व विधायक किशोर समरीते की तरफ से ये याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि ट्विटर (Twitter) ने नौ भाषाओं को मान्यता दी है, इसमें हिन्दी भाषा शामिल नहीं है। हिन्दी में किये जाने वाले ट्वीट (Tweet) हिन्दी में तो दिखाये जाते हैं लेकिन विदेश में इसे ट्रांसलेट कर अंग्रेजी भाषा में दिखाया जाता है जिसके कारण ज्यादातर अर्थ बदल जाते हैं। ट्विटर (Twitter) पर हिन्दी भाषा को मान्यता दिलवाने के संबंध में उन्होंने केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को पत्र लिखा था।

केन्द्र सरकार की ओर से कोई कार्यवाही नहीं किये जाने के कारण कोर्ट में ये याचिका दायर की गई है। याचिका की सुनवाई के दौरान केन्द्र सरकार (Central Government) की तरफ से पक्ष प्रस्तुत करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया गया जिसे स्वीकार करते हुए युगलपीठ ने याचिका पर चार सप्ताह बाद सुनवाई निर्धारित की है। केन्द्र सरकार (Central Government) की ओर से असिस्टेंट साॅलिस्टिर जनरल जे के जैन कोर्ट में उपस्थित हुए।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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