MP News : जानिए ‘वन स्टेट, वन हेल्थ’ पॉलिसी को लेकर क्या बोले AIIMS भोपाल निदेशक प्रो. डॉ. अजय सिंह, पढ़ें यह खबर

MP News : मध्यप्रदेश में 'वन स्टेट, वन हेल्थ' पॉलिसी लागू होने की तैयारी में है। वहीं इसे लेकर AIIMS भोपाल डॉक्टर अजय सिंह का कहना है कि 'यह देश का पहला ऐसा मॉडल है जिसमें एम्स और राज्य सरकार के स्वास्थ्य तंत्र के बीच समन्वय स्थापित किया गया है।'

Rishabh Namdev
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MP News : मध्यप्रदेश एक नया इतिहास लिखने जा रहा है। राज्य में ‘वन स्टेट, वन हेल्थ’ पॉलिसी लागू होने की तैयारी है। दरअसल इस पहल का मुख्य उद्देश्य राज्य के सभी नागरिकों को समान और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। वहीं इस पॉलिसी के लागू होने से राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं इसे लेकर हमारे समूह संपादक वीरेंद्र शर्मा ने इस पॉलिसी के निदेशक डॉक्टर अजय सिंह से खास बातचीत की, इस दौरान डॉक्टर अजय सिंह ने इस पॉलिसी को लेकर कई अहम जानकारियां दी।

‘वन स्टेट, वन हेल्थ’ पॉलिसी क्या है?

दरअसल ‘वन स्टेट, वन हेल्थ’ पॉलिसी का उद्देश्य पूरे राज्य में एक समान स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करना है। यह पॉलिसी एम्स और राज्य सरकार के स्वास्थ्य तंत्र के बीच समन्वय स्थापित करेगी। इसका मुख्य लक्ष्य यह है कि राज्य के किसी भी कोने में रहने वाले मरीज को उसी गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं मिलें, जो राजधानी भोपाल में उपलब्ध हैं।

यह देश का पहला ऐसा मॉडल:

हमने इस विषय पर डॉक्टर अजय सिंह से बात की, जो इस पॉलिसी के निदेशक हैं। डॉक्टर अजय सिंह ने बताया कि, “यह देश का पहला ऐसा मॉडल है जिसमें एम्स और राज्य सरकार के स्वास्थ्य तंत्र के बीच समन्वय स्थापित किया गया है। जब हमने इस योजना को पेश किया, तो हमारा मानना था कि हमारे पास पूरे प्रदेश से मरीज आते हैं, और गंभीर परिस्थितियों में उनका समय बर्बाद होता है। इस देरी से कई बार बीमारी अधिक गंभीर हो जाती है।”

25 इमरजेंसी बीमारियों की पहचान:

डॉक्टर अजय सिंह ने बताया कि 118 डॉक्टरों की टीम ने 25 ऐसी बीमारियों की पहचान की है जो इमरजेंसी हैं और जिनका तुरंत इलाज होना चाहिए। उन्होंने कहा, “हमने एक व्हाइट पेपर जारी किया जिसमें इन 25 बीमारियों का इलाज के लिए एक मानक प्रक्रिया तैयार की गई है। इस प्रक्रिया का पालन राज्य के हर जिले और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में किया जाएगा। इससे मरीज को तुरंत इलाज मिल सकेगा और उनकी बीमारी गंभीर रूप नहीं लेगी।”

ट्रेनिंग और सुपरविजन:

वहीं डॉक्टर अजय सिंह ने का कहना है, कि केवल डॉक्टर ही नहीं, बल्कि नर्सें, पैरामेडिक्स और टेक्निशियंस को भी प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हम सरकार के साथ मिलकर इन सभी को ट्रेन करेंगे और मेडिकल एजुकेशन में भी इनकी ट्रेनिंग सुनिश्चित करेंगे। इसका मकसद यह है कि एम्स में जो इलाज मिलता है, वही इलाज दूरदराज के गांवों में भी मरीजों को मिल सके।”

उपकरण और सुविधाओं की उपलब्धता:

दरअसल डॉक्टर अजय सिंह ने स्वीकार किया कि हर जगह पर सभी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हो सकतीं, लेकिन उन्होंने कहा, “हमने यह सुनिश्चित किया है कि जो भी बेसिक सुविधाएं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर उपलब्ध हैं, उनका उपयोग करके इलाज शुरू किया जाए। यदि कोई गंभीर स्थिति है और मरीज को उच्च केंद्र पर भेजना जरूरी है, तो उसे प्राथमिक इलाज के बाद ही भेजा जाएगा।”

मरीजों के लिए बेहतर व्यवस्था:

पॉलिसी को लेकर डॉक्टर अजय सिंह ने कहा कि, “यह पॉलिसी निश्चित रूप से बेहतर सुपरविजन सुनिश्चित करेगी और मरीजों को उनके इलाज के लिए सही मार्गदर्शन मिलेगा। यह मध्यप्रदेश के स्वास्थ्य तंत्र के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।”

बता दें कि मध्यप्रदेश की ‘वन स्टेट, वन हेल्थ’ पॉलिसी राज्य के स्वास्थ्य सेवाओं में एक नया अध्याय जोड़ने जा रही है। इस पहल से राज्य के हर कोने में रहने वाले नागरिकों को समान और सुलभ स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी। राज्य का स्वास्थ्य तंत्र मजबूत होगा और यह पहल राज्य के विकास और खुशहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।


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मैंने श्री वैष्णव विद्यापीठ विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रहा हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखता हूं।

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