इंदौर की मुस्कान ने पेश की देश प्रेम की मिसाल, ‘खान’ से बनी ‘भारतीय’

इंदौर,डेस्क रिपोर्ट। देश चाहे साल 1947 में अंग्रेजों (Britishers) से क्यों ना आजाद (Independent) हो गया हो, लेकिन आज भी हम जाति (Caste) ,धर्म (Religion) संप्रदाय (Community) के गुलाम है। देश आधुनिक तौर पर तो बहुत तरक्की कर चुका है, लेकिन आज के दौर में भी जाति-धर्म के नाम पर दो समुदायों के बीच झगड़ा और विवाद उत्पन्न हो जाता है। वहीं जिस खबर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं उसमें इंदौर (Indore) की एक 33 वर्षीय महिला ने जातिवादी के बंधन को तोड़ कर अपने आप को एक अलग पहचान दी है। 30 वर्षीय मुस्कान ने अपना सरनेम ‘खान’ को बदलकर ‘भारतीय’ कर लिया है।

इंदौर(Indore) की रहने वाली मुस्कान मुस्लिम समुदाय से वास्ता रखती है, इनका नाम मुस्कान खान है, जिसको बदलकर इन्होंने अपना उपनाम भारतीय (Bharitiye) कर लिया है। अपना उपनाम (Surname) बदलने को लेकर मुस्कान को काफी विरोध का सामना करना पड़ा था, लेकिन दबाव में ना आते हुए मुस्कान अपने फैसले पर अड़िग रही और उन्होंने अपना सरनेम बदलने की जाहिर सूचना प्रकाशित करवाई। मुस्कान कहती है कि उनका जन्म भारत (India) में हुआ है और देश (Nation) से बढ़कर कुछ नहीं होता।


About Author
Gaurav Sharma

Gaurav Sharma

पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।