Damoh : दमोह में हुए धर्मांतरण का मामला पिछले कुछ दिनों से लगातार चर्चा में बना हुआ है। आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होने पर लगातार विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है हैं। अब इस मामले को लेकर राष्ट्रीय बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग ने दमोह एसपी को एक समन भेजा है। जिसमें राष्ट्रीय बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग द्वारा ये कहा गया है कि जो कार्रवाई करने के आदेश पुलिस और प्रशासन को दिए गए थे वह कार्रवाई नहीं की गई है। साथ ही इस मामले में की जा रही कार्रवाई की जानकारी भी आयोग को देने के लिए कहा था लेकिन नहीं दी गई। इसलिए आरोपी के खिलाफ की गई कार्रवाई का ब्योरा लेकर एसपी को आयोग कार्यालय बुलाया गया है। ऐसे में अगर एसपी किसी कार्य का बहाना देकर वहां नहीं जाते हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई करने की बात इस समन में कही गई है।
समन में लिखा है –
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का गठन बाल अधिकारों के संरक्षण से निपटने के लिए और बाल अधिकारों के अभाव से संबंधित अन्य मामलों पर ध्यान देने के लिए भारत सरकार द्वारा बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अधिनियम, 2005 की धारा 3 के तहत एक सांविधिक निकाय के रूप में किया गया है।
ऐसे में जब राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने धर्मांतरण मामले में शिकायत का संज्ञान लिया तो ये बात सामने आई कि मध्य प्रदेश के दमोह में स्थित एक केरल मिशनरी संस्थान पुजारी द्वारा नाबालिग लड़कियों के अवैध धर्मांतरण और यौन उत्पीड़न जैसे काम किए जा रहे हैं।
इस मामले को लेकर आयोग ने सीपीसीआर एक्ट, 2005 की धारा 13(1) के तहत जांच करने के आदेश जारी किए थे। साथ ही पुलिस अधीक्षक दमोह को प्रकरण की स्थिति प्रतिवेदन 22/11/2022 को प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और अभियुक्तों की गिरफ्तारी सहित पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई का विवरण प्रस्तुत करने में एसपी विफल रहे।
ऐसे में अब आरोपी के साथ एसपी को इस मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपी के विवरण और आयोग के पिछले नोटिस में उल्लिखित प्रासंगिक रिकॉर्ड/दस्तावेजों के साथ 5 दिसंबर, 2022 सोमवार को उपस्थित होने के लिए कहा है। साथ ही इस मामले में आदेश का पालन नहीं करने की स्पष्ट वजह भी समझाने के लिए कही है। साथ ही ये भी कहा गया है कि अगर बिना किसी क़ानूनी बहाने के वह आने में विफल रहे तो उन पर कार्रवाई की जाएगी।