जिले की तीनों सीट पर भाजपा के खिलाफ कड़ा आक्रोश देखने को मिल रहा है। कांग्रेस के लिए यह चुनाव चुनौती बना हुआ है। दोनों ही पार्टियों के लिए करो या मरो जैसी स्थिति बनी हुई हैं। भाजपा प्रत्याशी का चौतरफा विरोध हो रहा है। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी की राह भी आसान नजर नहीं आ रही।
नीमच। श्याम जाटव।
कांग्रेस-भाजपा प्रत्याशी का प्रचार जोर पकड़ने लगा है और दोनों तरफ से कोई पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। भाजपा ने अंदरूनी कलह को निपटाने व नाराज लोगों को मनाने के लिए जावद के रतनगढ़ में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और नीमच के भादवामाता इलाके में आमसभा कराई। आमसभा के बाद भी प्रत्याशी व पार्टी से नाराज लोग संतुष्ट नहीं है।
-निर्दलीय तीसरे नंबर पर
जानकारी के अनुसार जावद में विधायक ओमप्रकाश सखलेचा को कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार अहीर कड़ी टक्कर दे रहे है। वहीं इंदौर के कारोबारी निर्दलीय समंदर पटेल गांव की खाक छान रहे हैं। राजनीति के जानकार निर्दलीय पटेल को किसी भी तरह कांग्रेस-भाजपा प्रत्याशी की टक्कर में नहीं मानते। इतिहास गवाह है यहां से किसी निर्दलीय को जीत का मौका नहीं दिया और मतदाता ने धनबल और बाहुबल को हमेशा नकारा है।
-विधायक प्रचार में पिछड़े
नीमच विधानसभा के प्रत्याशी व विधायक दिलीपसिंह परिहार कांग्रेस प्रत्याशी सत्यनारायण पाटीदार के मुकाबले प्रचार में पिछड़ गए। पाटीदार को गांव-गांव में समर्थन मिल रहा है। परिहार का कई गांव में लोगों ने सीधा विरोध किया। मतदाताओं ने जनसंपर्क के दौरान खरी-खरी सुनाई। परिहार दो बार से विधायक हैं और तीसरी बार पार्टी ने भरोसा किया। हालात को देखते हुए कांग्रेस यहां से बाजी पलट सकती है।
-कांग्रेस की एकजुटता से घबराई भाजपा
जिले में कांग्रेस अभी तक अलग-अलग गुट में बंटी हुई थी। 2018 के चुनाव में सभी बड़े व छोटे नेता एक हो गए हैं और प्रत्याशी के समर्थन रात-दिन साथ रहकर प्रचार कर रहे हैं। ये पहला मौका है जब सभी कांग्रेसी एक जाजम पर बैठे है। कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष नंदकिशोर पटेल, पूर्व विधायक डॉ.संपतस्वरूप जाजू, जिला कांग्रेस अध्यक्ष अजीत कांठेड़, पूर्व नपाध्यक्ष प्रतिनिधि हरीश दुआ, पूर्व नपाध्यक्ष रघुराजसिंह चौरडिय़ा, यूथ कांग्रेस से तरूण बाहेती, रमेश राजोरा, दिग्विजयसिंह आमलीखेड़ा, ओम दीवान समते कई नेता साथ है।
-मनासा में बदल सकते समीकरण
कांग्रेस प्रत्याशी उमरावसिंह गुर्जर और भाजपा के माधव मारू के बीच कांटे का मुकाबला है। गुर्जर को प्रत्येक गांव में जाति समीकरण के आधार पर समर्थन मिल रहा है। मारू को उनकी दबंग छवि की वजह से लोगों में नाराजगी है। दूसरी तरफ विधायक कैलाश चावला का टिकट काटने से भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं ने मारू के प्रचार से दूरी बना ली। इस वजह से भाजपा के लिए यह सीट भी चुनौती बनी हुई हैं।