हादसे को न्योता देते आदिम जाति कल्याण विभाग के छात्रावास

Amit Sengar
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नीमच, कमलेश सारडा। नीमच में आदिम जाति कल्याण विभाग (tribal welfare department) पर 34 छात्रावास के रखरखाव की जिम्मेदारी है। दो साल से इन छात्रावास के भवन की मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया गया। जिसकी वजह से कई छात्रावास जर्जर हालत में हो रहे हैं जो हादसे को न्योता दे रहा है।

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नीमच सिटी थाने के सामने आदिम जाति कल्याण विभाग का अनुसूचित जाति का एक छात्रावास जिसमें तस्वीरों में देखा जा सकता है, जो भवन है जर्जर हालत में है। छात्रों के कमरों में दीवारों पर दरारें पड़ी हुई है। पोर्श एरिये में छत की दीवारों से सीमेंट गिर रही है। ऐसे में यहां पर कभी भी हादसा होने का खतरा बना हुआ है। लेकिन विभाग के जिम्मेदारों द्वारा पिछले 2 सालों से यहां पर कोई मरम्मत का काम नहीं करवाया है लिहाजा इस नए वर्ष मैं अब तक परिजन अपने बच्चों का प्रवेश छात्रावास में नहीं करवा पाए हैं। हर साल यहां पर 50 बच्चे प्रवेश लेते हैं लेकिन वर्तमान में सिर्फ एक बच्चा ही यहां पर मौजूद है इससे यह पता लगता है कि परिजन व यहां पर प्रवेश लेने वाले बच्चों में जर्जर हालत में छात्रावास को लेकर कहीं ना कहीं डर बना हुआ है।

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इस मामले को लेकर जब हमने छात्रावास के अधीक्षक से बात की तो उनका कहना था कि हमने कई बार लेटर बनाकर विभाग के अधिकारियों को दे दिए हैं। एक बार RES विभाग से इंजीनियर आए थे, ओर भवन को देख कर गए थे, लेकिन आज तक उसके बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई।

वही इस मामले में आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारी का कहना है कि हम डीपीआर बनाकर दे चुके हैं जल्द ही काम करवाया जाएगा।


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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