संकट में फिर किसान, औंधे मुंह गिरे प्‍याज-लहसुन के भाव, भाड़ा निकलना भी मुश्किल

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मंदसौर/नीमच। मध्य प्रदेश में साल भर पहले किसान आंदोलन ने प्रदेश ही नहीं देश भर में हड़कंप मचा दिया था, जिसका सबसे ज्यादा असर मालवा में देखने को मिला था और मंदसौर के इतिहास में एक काला पन्ना भी जुड़ा, किसानों पर गोलियां चली| जिसके बाद मंदसौर और पूरा मालवा क्षेत्र राजनीति का केंद्र  बन गया| अब  एक बार फिर किसान संकट में है, अन्नदाता परेशान ही नहीं हताश नजर आ रहा है, जो फसल के दाम नहीं मिलने के कारण अपनी फसल फेकने पर मजबूर है| 

प्याज और लहसुन के भाव औंधे मुंह गिरने से एक बार फिर मालवा की मंडियों में बवाल मच गया है| किसानों की हालत यह है कि लागत का मूल्य मिलना तो दूर फसल लाने का भाड़ा निकलना भी मुश्किल हो रहा है| पहले से कर्ज में डूबे किसानों को दाम न मिलने से हताशा है और अभी से भारी नुकसान की चिंता सता रही है|  नीमच में सोमवार को प्याज 50 पैसे और लहसुन 2 रुपए किलो बिकी। इसके चलते किसान या तो अपनी फसल वापस ले जा रहे हैं या फिर मंडी में छोड़कर जा रहे हैं। इन किसानों का कहना है कि इस भाव में बेचने से अच्छा है कि वे मवेशियों को खिलाएंगे।


दो दिन इंतजार के बाद भी खाली हाथ किसान, भाड़ा भी नहीं निकल रहा  

कृषि मंडी में किसानों को अपनी फसल बेचने का 2 दिन तक इंतजार करना पड़ रहा है, किसान सीधे तौर पर सरकार को दोषी मान रहे हैं तो वहीं मंडी प्रांगण प्याज से पटा पड़ा है। मंदसौर कृषि उपज मंडी में जहां नजर डालो चारों तरफ मंडी प्रांगण में लाल सुर्ख प्याज से पटा पड़ा है| प्याज उत्पादक किसान कृषि मंडी में प्याज बेचने आते हैं तो उन्हें परेशानी के साथ साथ 2 दिन अपनी फसल नीलाम होने का इंतजार करना पड़ रहा है, उसके बाद भी उसको फसल की कीमत और लागत मूल्य भी नहीं निकल पा रहा है| सोमवार को 70 रुपये क्विंटल से ₹600 क्विंटल तक ब्याज बिका जो कि किसानों का लागत मूल्य के बराबर भी नहीं, एक बीघा में प्याज बोने में 12 से 15000 हजार रुपये का खर्च कर किसान 10 से 12 क्विंटल प्याज की पैदावार करता है और किसानों को आमदनी हो रही है 700 से 7000 तक यानी की लागत मूल्य भी किसानों को नहीं मिल रहा।  प्याज किसानों को रुलाने लगी है। किसान कर्जदार पहले से ही है और कर्ज में डूबता जा रहा है| 


क्यों गिरे दाम, दोषी कौन 

किसानों ने सरकार को दोषी करार दिया | किसानों का कहना है कि जब भारत में ही प्याज की पैदावार हो रही है तो आयात करने की क्या जरूरत पड़ी, यदि सब ऐसा ही चलता रहा तो किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो जाएंगे| किसान किशोर साहू का कहना था कि 5 से 6 बोरी तो घर बाहर ही फेंक कर आए हैं क्या करते मंडी लाकर भाड़ा ज्यादा लग जाता| वहीं किसान फकीर चंद का कहना था कि 70 पैसे किलो प्याज बिका इससे अच्छा तो बेचेंगे नहीं फेंक देंगे 2 दिन से मंडी में पड़े हैं इतने का तो खर्चा ही हो गया खाने पीने में, सरकार ने भिखारी बना दिया। वहीं किसान गोपाल सिंह ने यह आरोप लगाए हैं कि व्यापारियों ने भाव गिरा दिया, वहीं मंडी निरीक्षक का कहना था कि हर रोज लगभग 15000 से ज्यादा बोरी प्याज की आवक हो रही है जो कम से कम ₹100 से ₹800 क्विंटल के हिसाब से बिक रही है | खपत कम होने से रेट नहीं मिल पा रहे हैं आयात निर्यात का असर भी दिखाई पड़ रहा है| 


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