Transfer in Madhya Pradesh : मध्य प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों और पुलिसकर्मियों के लिए अच्छी खबर है। राज्य की मोहन यादव सरकार ने अपने मंत्रियों को जिलों का प्रभार दे दिया गया है, ऐसे में संभावना जताई जा रही है अब जल्द ही छह माह से लगा तबादलों पर प्रतिबंध हटाया जा सकता है। इसी के साथ नई तबादला नीति भी लागू कर जाएगी, इसके तहत मंत्रियों के पास अपने-अपने जिलों में तबादलों की जिम्मेदारी होगी।
जल्द कैबिनेट में आएगा प्रस्ताव
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लंबे समय से तबादलों पर लगी रोक मोहन सरकार अगस्त महिने में हटाने की तैयारी में है, इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग ने नई तबादला नीति का प्रस्ताव तैयार कर लिया है और विभागीय मंत्री से इसका अनुमोदन भी हो गया है। संभावना है कि 20 अगस्त को कैबिनेट बैठक हो सकती है, जिसमें इस प्रस्ताव को लाकर मंजूरी दी जा सकती है, इसके अनुरूप ही मध्य प्रदेश में तबादले किए जाएंगे।
प्रभारी मंत्री की अनुशंसा जरूरी
नई तबादला नीति के तहत ,प्रभारी मंत्री की अनुशंसा पर तबादले किए जाएंगे यानि बिना मंत्री की सिफ़ारिश के अब कोई भी तबादला नहीं हो पाएगा। एक जिले से दूसरे जिले के अंदर तबादले के लिए प्रभारी मंत्री की अनुशंसा अनिवार्य होगी। एक निश्चित अवधि में प्रशासनिक और स्वैच्छिक आधार पर तबादले होंगे, लेकिन किसी भी संवर्ग में 20% से अधिक तबादले नहीं किए जा सकेंगे।इस फैसले से मंत्रियों को अपने-अपने क्षेत्रों में प्रशासन पर बेहतर नियंत्रण स्थापित करने में मदद मिलेगी।
अगस्त में हटेगा तबादलों से प्रतिबंध!
खबर है कि तबादलों से बैन हटने के बाद एक निश्चित अवधि में थोकबंद प्रशासनिक और स्वैच्छिक आधार पर तबादले किए जाएंगे। चर्चा तो ये भी है कि कई जिलों के कलेक्टर और एसपी कमिश्नर को इधर से उधर किया जा सकता है।नई तबादला नीति में गंभीर बीमारी, प्रशासनिक, स्वेच्छा सहित अन्य आधार स्थानांतरण को प्राथमिकता दी जा सकती है।
चुनाव के चलते लग गया था तबादलों पर प्रतिबंध
गौरतलब है कि राज्य सरकार आमतौर पर प्रतिवर्ष मई-जून में तबादलों से बैन हटाती है। इसमें अधिकतम 20% तबादले करने का अधिकार विभागीय मंत्रियों को दिया जाता है। लेकिन इस बार लोकसभा चुनाव के लिए मतदाता सूची तैयार करने के लिए कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही तबादलों पर बैन लग गया था। इसके चलते राज्य सरकार चुनाव कार्य में संलग्न 65 हजार बूथ लेवल ऑफिसर, कलेक्टर, कमिश्नर, पुलिस महानिरीक्षक, पुलिस अधीक्षक समेत कई संवर्गों के अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले चुनाव आयोग की अनुमति के बाद नहीं कर सकती थी हालांकि इस अवधि में केवल उन्हीं अधिकारियों-कर्मचारियों के तबादले हुए जो प्रशासकीय दृष्टि से बहुत जरूरी थे, ऐसे में अब तबादलों से बैन हटने के बाद कलेक्टर, एसपी और मुख्यालयों में बैठे अधिकारियों के तबादले हो सकेंगे।