रायसेन,डेस्क रिपोर्ट। दुनिया के लगभग सभी देशों तथा धर्मों में व्रत (fast) का एक महत्वपूर्ण स्थान है वहीं अलग-अलग तीज त्योहार पर लोगों को व्रत, उपवास करते देखा भी होगा। कुछ उपवास के दौरान लोग भूखे रहते हैं, सिर्फ फलाहार लेते हैं। लेकिन लोग अब डिजिटल फास्टिंग कर रहे है। मतलब मोबाइल, लैपटॉप समेत तमाम गैजेट से 24 घंटे यानी एक दिन की दूरी बना रहे है। ये अनोखी पहल रायसेन (raisen) जिले में देखने को मिल रही है। यहां जैन समाज ने पर्यूषण पर्व (Paryushan festival) पर अनोखे उपवास की शुरुआत की। इसे इंटरनेट मुक्त या डिजिटल फास्टिंग का नाम दिया गया है। इसके तहत 600 लोगों ने अपने मोबाइल यहां जमा करा दिए। ये 24 घंटे इनसे दूर रहेंगे। वहीं 400 लोगों ने 10 दिन के लिए यहां मोबाइल जमा कराया है।
आपको बता दें कि पर्युषण पर्व में अलग-अलग दिन उपवास किए जाते हैं, ऐसे में इस पर्यूषण पर्व में रायसेन के बेगमगंज में जैन समाज के अध्यक्ष द्वारा एक नई पहल शुरू की जा रही है, इस पहल के तहत ऐसा उपवास करवाया जाएगा। जिसमें इंसान को 24 घंटे बिना इंटरनेट के उपवास करना होगा जी हां इस उपवास को डिजिटल फास्टिंग उपवास का नाम दिया गया है, इसके तहत 24 घंटे बिना इंटरनेट चलाएं आपको उपवास करना होगा।
दरअसल, इन दिनों बच्चे से लेकर बड़े-बूढ़ों तक किसी का भी बिना इंटरनेट के दिन नहीं निकलता है, अधिकतर लोग ऑनलाइन रहकर अपना समय बर्बाद कर देते है ऐसे में इंसान प्रकृति और आसपास की सभी चीजों से धीरे-धीरे दूर होता जा रहा है ऐसे समय में लोगों को वापस इन सब चीजों से जोड़ने के लिए और इंटरनेट से थोड़ा दूर करने के लिए यह पहल शुरू की गई है जानकारी के मुताबिक रायसेन जिले के बेगमगंज जैन समाज द्वारा इस पर्यूषण पर्व में मुनियों के सामने इस अनोखे उपवास की अवधारणा रखी गई है, ऐसे में अब इस उपवास को लेकर पूरे जिले में चर्चा की जा रही है वही जैन समाज के लोग भी इस उपवास को करने के लिए आगे आ रहे हैं, कुछ लोगों का तो इतना भी कहना है कि अब वह हर महीने 1 दिन बिना इंटरनेट के उपवास रखेंगे।
बेगमगंज में मुनिश्री श्रीश्री तमसा सागर महाराज ने प्रवचन के दौरान कहा कि मोबाइल उपयोग करने वाले के चेहरे, मन आंखों पर गहरा असर डालता है। इससे स्वास्थ्य में गिरावट आती है। मोबाइल साधन है, इसका उपयोग सीमित करें तो बेहतर है। लोग 24 घंटे इसमें लगे रहें तो यह समस्या का कारण बन सकता है।
पर्युषण क्या है
पर्युषण का अर्थ है ” एक साथ रहना और एक साथ आना “। यह एक ऐसा समय है जब जैन अध्ययन और उपवास की शपथ लेते हैं। यह पर्व बुरे कर्मों का नाश करके हमें सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
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Amit Sengar
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वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”