जल्द छुट्टी लेकर घर आना चाहते थे शहीद मनीष विश्वकर्मा, आज होगा अंतिम संस्कार

Gaurav Sharma
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राजगढ़, डेस्क रिपोर्ट

जम्मू में आतंकी हमले में शहीद हुए राजगढ़ के सैनिक मनीष विश्वकर्मा का पार्थिव शरीर आज भोपाल से उनते पैतृक गांव खुजनेर लाया जाएगा, जहां राजकीय सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया जाएगा। बता दें कि जिले का 22 वर्ष का यह युवा सवा साल पहले ही विवाह के बंधन में बंधा था और चार दिन पहले ही अपने माता पिता से फोन पर चर्चा कर देश की सुरक्षा में  अपनी सेवाएं देने पर खुश हो रहा था। शहीद मनीष ने खुशी खुशी बहुत जल्द छुट्टी लेकर घर आने वाली बात परिवार के साथ साझा कि थी। पर उनके घर आने से पहले ही वो आंतकवादियों की साजिश का शिकार हो गए और बम ब्लास्ट में वीरगति को प्राप्त हो गए।

वीर मनीष विष्वकर्मा का जन्म 1 जनवरी 1998 को राजगढ़ जिले के खुजनेर में हुआ। उन्होंने केवल 18 साल की आयु में ही सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने का लक्ष्य बनाया व उस पर खरा उतरते हुए देश के लिए बलिदान दिया। शहीद मनीष विश्वकर्मा के पिता सिद्धनाथ विश्कर्मा मकान बनाने वाले कारीगर है।

वीर मनीष विश्वकर्मा के बढ़े भाई हरीश विश्वकर्मा भी 2014 से सेना में ही राजस्थान के गंगानगर में तैनात होकर देश की सेवा कर रहे है। मनीष अपनी डयूटी से  छुट्टी लेकर अपने परिवार से मिलने आखरी बार दिसम्बर 2019 में आए थे । उसकी अंतिम बार अपने माता पिता व परिवार से बात चार दिन पहले ही मोबाइल पर हुई थी व परिवार के हाल चाल जानने के बाद उसने जम्मू कश्मीर में अपनी डयूटी को लेकर जानकारी दी थी।

वीर मनीष की मां बताती हैं कि शहीद मनीष से उनकी फोन पर लास्ट बार बात अभी कुछ दिनों पहले हुई थी। उन्होंने अपनी पत्नी को घर बुलाने के लिए अपनी मां को कहा था। वही मनीष की पत्नी अपने शहीद पति पर गर्व करने की बात कह रही है और कह रही है कि अब मैं बाकी जिंदगी मेरे पति के माता पिता की सेवा करूंगी ।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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