Rajgarh News : डिलीवरी के बाद मां और नवजात की हुई मौत, परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर लगाए गंभीर आरोप

Amit Sengar
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Rajgarh News : राजगढ़ जिले के आरोग्यम प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र माचलपुर में डिलेवरी वार्ड में लापरवाही का मामला सामने आया है। जिसमें जच्चा-बच्चा की मौत के बाद परिजनों ने गंभीर लापरवाही के आरोप लगाये हैं। घनश्याम गुर्जर ने बताया, कि हमारी बहू लक्ष्माबाई पति सीताराम गुर्जर, निवासी-माचलपुर को मंगलवार को शाम को प्रसव पीड़ा के बाद डिलेवरी के लिये माचलपुर अस्पताल लाया गया था। रात्रि में जहाँ सायं 6:30 बजे करीब उसने बेटे को जन्म दिया था। स्टॉफ नर्स पवित्रा ने जच्चा बच्चा स्वस्थ होने की जानकारी परिवारजनों को दे दी थी। इसके बाद नर्स घर चली गई। करीब दो घण्टे बाद पता चला की लक्ष्माबाई को लगातार ब्लीडिंग हो रही है एवं बच्चे को साँस लेने में परेशानी आ रही है। आनन-फानन में हम उन्हे झालावाड़ अस्पताल के लिये रेफर किया गया। जहाँ ऑक्सीजन की कमी होने के कारण बच्चे ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया। वहीं देर रात्रि में झालावाड़ में महिला लक्ष्माबाई की भी मौत हो गई।

समय रहते रेफर कर देते, तो बच सकती थी जान

डिलेवरी के करीब 2 घण्टे से ज्यादा समय के बाद महिला एवं बच्चे को रेफर किया गया था, जिसके कारण नवजात बालक ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया, जबकि महिला लक्ष्माबाई को तीन यूनिट ब्लड लगने के बाद भी बचाया नहीं जा सका। झालावाड़ में डॉक्टरों ने कहा, कि यदि समय रहते अस्पताल लेकर आते तो जान बच सकती थी। इसकी जानकारी जब परिजनों को लगी, तो उन पर दु:खों का पहाड़ टूट पड़ा। जैसे ही यह जानकारी माचलपुर क्षैत्र के लोगों को लगी, परिवार सहित क्षैत्र में शोक की लहर फैल गई। जब लोगों को अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही की जानकारी मिली, तो लोगों का गुस्सा फुट पड़ा। अर्जुन गुर्जर ने आरोप लगाये, कि नर्सें पैसों के लालच में जननी को रोक कर रखती है, जब केस बिगड़ता है, तो उन्हें झालावाड़ ले जाना पड़ता है। जिसके कारण जननी व बच्चे की जान को खतरे की स्थिति बन जाती है।

आतिशबाजी कर मोहल्ले में बाँट दी थी मिठाई, सुबह मातम छाया

गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले सीताराम एवं लक्ष्माबाई की शादी 3 वर्ष पूर्व गुर्जर समाज सामुहिक विवाह सम्मेलन में हुई थी। शादी के बाद परिवार खुशी-खुशी जीवन यापन कर रहा था। मंगलवार को जब लक्ष्माबाई को प्रसव पीढ़ा हुई, तो उसे माचलपुर अस्पताल लाया गया, जहाँ सीताराम को पुत्र रत्न प्राप्ति की जैसे ही जानकारी मिली, तो परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। परिवारजनों ने अस्पताल के बाहर एवं गुर्जर मोहल्ले में जमकर आतिशबाजी की एवं पूरे मोहल्ले में घर-घर जाकर मिठाई बाँट दी थी। सब घर पर लक्ष्माबाई एवं शिशु के आगमन की तैयारियों में जुट गये। सबकुछ ठीक-ठाक चल रहा था। दो घण्टे बाद जब माँ और बेटे की हालत बिगड़ने लगी, तो उन्हें आनन-फानन में झालावाड़ रेफर किया गया, जहाँ नवजात बेटे की रास्ते में ही दम तोड़ दिया, वहीं लक्ष्माबाई ने झालावाड़ अस्पताल में तीन बल्ड युनिट चड़ने के बाद भी दम तोड़ दिया। सुबह जैसे ही शवयात्रा निकली, लोगों की ऑखे नम हो गई। रात की खुशियों दिन होते होते मातम में बदल गई।

डॉक्टर बोले घटना दु:खद, सख्ती से सुधार करेंगे

जून माह में माचलपुर अस्पताल में कुल 66 डिलेवरी केस आये थे। जिनमें से 7 को रेफर किया गया एवं 2 केस में बच्चा मृत पैदा हुआ। जब हमने मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर भरत शाक्य से बात की, तो उन्होने कहा कि घटना बहुत दु:खद है। लक्ष्माबाई का हिमोग्लोबिन भी 9 के आसपास था, परिजन उसे देरी से अस्पताल लेकर आये थे, इसलिये यहीं डिलेवरी करना पड़ी। हम मामले की जाँच कर रहे हैं। स्टॉफ नर्स को नोटिस जारी कर रहे हैं। हमने सख्ती से निर्देश दे दिये हैं, कि अस्पताल में पदस्थ महिला डॉक्टर पायल पाटीदार व मुझे प्रत्येक केस की जानकारी दी जाये, ताकि क्रिटीकल केस होने पर रेफर किया जा सके।
राजगढ़ से जितेन्द्र राठौर की रिपोर्ट


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मुझे अपने आप पर गर्व है कि में एक पत्रकार हूँ। क्योंकि पत्रकार होना अपने आप में कलाकार, चिंतक, लेखक या जन-हित में काम करने वाले वकील जैसा होता है। पत्रकार कोई कारोबारी, व्यापारी या राजनेता नहीं होता है वह व्यापक जनता की भलाई के सरोकारों से संचालित होता है।वहीं हेनरी ल्यूस ने कहा है कि “मैं जर्नलिस्ट बना ताकि दुनिया के दिल के अधिक करीब रहूं।”

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