रेलवे ट्रैक पर मिला कमांडो का शव, पुलिस ने दफनाया, परिजनों की आपत्ति के बाद पीएम के लिए भेजा 

Atul Saxena
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रतलाम, सुशील खरे। गुजरात (Gujrat) में रहने वाले सीआरपीएफ(CRPF) के एक कमांडो (Commondo) का शव आलोट में रेलवे ट्रैक पर मिलने से सनसनी फ़ैल गई।  सूचना मिलने के बाद आलोट पुलिस ने शव को लावारिस समझ कर दफना दिया, परिजनों के पहुँचने के बाद जब शव को बाहर निकाला गया तो परिजनों को पीएम के कोई निशान नहीं दिखे। उनकी आपत्ति के बाद फिर शव को पीएम के लिए भेजा गया।  परिजनों ने मौत को लेकर आशंका जताई है। परिजनों के मुताबिक दो महीने बाद मृतक की शादी होने वाली थी।

जानकारी के अनुसार ट्रैन से दिल्ली से गुजरात जा रहे सीआरपीएफ कमांडो अजीत सिंह परमार (CRPF Camondo Ajit singh parmar) का शव 14 नवम्बर को आलोट के पास थूरिया में रेलवे ट्रैक पर मिला। सूचना  पर पहुंची आलोट पुलिस ने शव को लावारिस  समझ कर दफना दिया जबकि नियम ये कहता है कि लावारिस शव भी 72 घंटे बाद दफनाया जाये। लेकिन आलोट पुलिस ने 18 घंटे में ही शव को दफना दिया।

परिजनों के मुताबिक 14 नवंबर को राजधानी एक्सप्रेस जब मुंबई पहुंची तो एक सीट पर आरपीएफ को एक यात्री का मोबाइल फोन और बैग मिला। यात्री की शिनाख्त अजीतसिंह परमार (30) निवासी ग्राम कोडिनार जिला गिरी सोमनाथ गुजरात के रूप में हुई। आरपीएफ ने मृतक के परिजन और आलोट पुलिस को सूचना दी। जानकारी मिलने पर अजीतसिंह के काका शिवनाथभाई, चचेरा भाई  विपिन, मामा भरतभाई और रिश्तेदार संदीपसिंह सोमवार सुबह आलोट पहुंचे। उन्हें घटना का पता चला तो पुलिस ने शव को कब्र से निकलवाकर परिजन के सुपुर्द कर दिया। दफनाया हुआ शव फिर निकाला और जिला अस्पताल में पीएम के लिए भेज दिया। परिजन के अनुसार शव को बाहर निकालकर दिया तब देखकर पता चला कि पुलिस ने बिना पीएम के ही शव दफना दिया था। वहीं सीएसपी रतलाम ने बताया कि हम अस्पताल बॉडी भिजवा देते हैं और पीएम फाॅर्म भरकर दे देते हैं। उसके बाद हमें बॉडी कपड़े में लिपटी मिलती है। इसके बाद हम सीधा दफना देते हैं। उधर स्वास्थ्य विभाग  का कहना है कि शव पूर्ण रूप से शत-विक्षत  हो गया था। मौत के कारणों की जांच के लिए पीएम करते हैं। मौत का कारण ट्रेन से गिरकर कटना है। इसलिए विसरा लेकर बॉडी पुलिस को सौंप दी। एसडीएम  का कहना है कि डॉक्टर ने शव परीक्षण करने के बाद प्राथमिक पीएम रिपोर्ट दी है। शव क्षत-विक्षत होने व ट्रेन से कटने के कारण ज्यादा कुछ नहीं किया होगा। तकनीकी रूप से डॉक्टर सही जानकारी दे सकते हैं। फिर भी परिजन का आरोप है कि कहीं लापरवाही हुई है तो जांच करवाई जाएगी।

परिजनों के मुताबिक दो महीने बाद अजीत सिंह की शादी थी। 12 नवंबर को अजीत सिंह बिहार रेजीमेंट से छुट्टी पर कोडिनार आ रहे थे। 13 नवंबर को रात 11 बजे अजीत सिंह ने मंगेतर हिना से फोन पर बात की और कहा कि उन्हें नींद आ रही और वडोदरा में सुबह 4 बजे कॉल करूंगा। सुबह कोई कॉल नहीं आया तो हिना ने सुबह 8.54 बजे कॉल किया लेकिन अजीत ने रिसीव नहीं किया। इसके बाद अजीत का सामान मुंबई रेलवे स्टेशन पर मिला लेकिन वे साथ नहीं था। घटना की जानकारी मिलने पर आलोट के राजेश सोलंकी, वीरेंद्रसिंह सोलंकी, पुष्पराजसिंह सोलंकी आदि भी पहुंच गए थे।  करणी सेना ने पुलिस की लापरवाही का मुद्दा उठाया है  करणी सेना  के प्रदेश को-ऑर्डिनेटर यादवेंद्रसिंह तोमर ने कहा कि जरूरत हुई तो इस मामले को लेकर मप्र, राजस्थान व गुजरात में आंदोलन करेंगे। फिलहाल अभी पीएम रिपोर्ट का इन्तजार है उसके बाद ही साफ़ हो सकेगा कि ये हादसा है या कुछ और।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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