आशिक के साथ मिलकर पत्नी ने करवाई अपने पति की हत्या, तीन आरोपी गिरफ्तार

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रतलाम, सुशील खरे। रतलाम के औद्योगिक थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम मुंशीपाड़ा के निकट बाइक पर जा रहे युवक की गोली मारकर हत्या के मामले का रतलाम पुलिस ने 36 घंटे के अंदर खुलासा कर दिया है। पुलिस के अनुसार युवक की ढाई लाख रुपए में सुपारी देकर हत्या कराई गई थी। पुलिस ने इस मामले में सुपारी देने वाले और दो शूटर सहित तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। गुरुवार को पुलिस नियंत्रण कक्ष पर एसपी ने इस पूरे मामले का खुलासा किया।

दरअसल, ग्राम बड़लीपाड़ा(रामपुरिया) निवासी मुकेश पिता प्रभुलाल निनामा उम्र 21 वर्ष, रतलाम में एक माईक्रोफाईनेंस कंपनी में कर्मचारी था। 14 दिसम्बर 2020 सोमवार शाम भी बैंक से रोज की तरह घर के लिए बाईक से निकला था, परंतु मुंशीपाड़ा के पास रास्ते में उसका शव गड्ढ़े में पड़ा मिला। उसका भाई भी अपने काम के बाद घर लौट रहा था, जब ग्राम रामपुरिया और बड़लीपाड़ा के बीच सड़क किनारे गड्ढ़े के पास भीड़ लगी हुई थी। उसे देखकर वह भी रुका तो भीड़ में मौजूद लोगों ने बताया कि नीचे बाईक सहित एक युवक पड़ा हुआ है, जिसका संभवत: एक्सीडेंट हुआ है। मृतक के छोटे भाई ने नीचे देखा तो अपने ही भाई और उसकी बाईक को पड़ा देखकर तुरंत लोगों की मदद से उसे उठाया, एम्बुलेंस से उसे जिला अस्पताल लाए। प्रारंभ में युवक की मौत का कारण दुर्घटना माना जा रहा था। वहीं मंगलवार सुबह करीब 10.30 बजे जब डॉक्टर ने पोस्टमार्टम किया तो उसके सिर के पिछले हिस्से से गोली निकली। पीएम से हुए चौंकाने वाले खुलासे के बाद पुलिस ने इस मामले में अज्ञात आरोपी के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज कर मामले की जांच शुरू की।


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Gaurav Sharma

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है। इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।