साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की बढ़ी मुश्किले, ‘शुद्र’ वाले बयान पर रिटायर्ड IAS क्रोध में, कार्रवाई की मांग

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर (MP Sadhvi Pragya Singh Thakur) ने बीते दिनों एक सम्मेलन में ‘शूद्र को शूद्र कह दो, तो बुरा लग जाता है’ वाला बयान दिया था। जिस पर रिटायर्ड आईएएस रमेश थेटे (Retired IAS Ramesh Thete) ने आपत्ति जताई है और कहा है कि इस बयान के लिए प्रदेश सरकार (State government) को सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट (Atrocity act) के तहत FIR दर्ज कराना चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि इस तरह का आपत्तिजनक बयान देने वाली सांसद को बीजेपी को अपने पार्टी से निष्कासित  (Expelled from party) कर देना चाहिए। अगर उनपर कार्रवाई नहीं हुई तो हम विधिवेत्ताओं से बात करेंगे और सांसद के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराएंगे। साथ ही एक बड़ा जन आंदोलन भी किया जाएगा।

दलित वर्ग के लिए दिया आपत्तिजनक बयान

बता दें कि सीहोर में आयोजित क्षत्रिय सम्मेलन शामिल होने पहुंची सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने आपत्तिजनक बयान (Offensive statement) दिया था। जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर ‘शूद्र को शूद्र कह दो, तो बुरा लग जाता है।’ रिटायर्ड आईएएस थेटे ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि आखिर दलित वर्ग किसी के सामने क्यों झुकेगा।

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सांसद के खिलाफ प्रदेश सरकार ले एक्शन

रिटायर्ड आईएएस थेटे ने कहा कि आप आप 2024 में प्रधानमंत्री बनने की इच्छा रखते है, तो इस सांसद पर कार्रवाई क्यों नहीं करते। आगे उन्होंने कहा कि सांसद साधवी प्रज्ञा ने जो शब्द उपयोग किया है वो असंवैधानिक शब्द है। अगर जनता की सेवा में आए सांसद द्वारा ही ऐसा बयान दिया जाएगा, तो भी जनता की कौन सुनेगा। ऐसे में प्रदेश सरकार को उनके खिलाफ एक्शन लेना चाहिए और एट्रोसिटी एक्ट के तहत सांसद ठाकुर पर कार्रवाई करनी चाहिए।

रिटायर्ड IAS ने कहा- मैं खुद कराऊंगा FIR

रिटायर्ड IAS ने कहा कि सांसद के बयानों को लेकर दूसरे संगठन के लोग भी उनके खिलाफ एफआईआर कराने की कोशिश कर रहे है। अगर वे नहीं कराएंगे तो मैं खुद आगे आकर उनके खिलाफ एफआईआर कराऊंगा। साथ ही इसके लिए विधिवेत्ताओं से विशेष परामर्श कर एफआईआर दर्ज कराकर एक जन आंदोलन भी किया जाएगा। रिटायर्ड आईएएस ने कहा कि क्योंकि देश में अगर बदलाव चाहिए तो उसके लिए सामाजिक क्रांति आवश्यक है।

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शिवराज सरकार पर बोला हमला

इस दौरान रिटायर्ड आईएएस थेटे ने शिवराज सरकार पर भी हमला बोला और कहा कि रिटायर्ड होने पर गुलामी से मुक्ति मिली है। थेटे ने कहा कि मैं घोषणा करता हूं, मैं इस वर्ग का अपमान नहीं होने दूंगा, चाहे मेरी जान भी क्यों ना चली जाए। साथ जब उनसे राजनीति में आने जैसे सवाल किए गए तो, रिटायर्ड आईएएस ने कहा कि वो बाबा साहेब अंबेडकर का रास्ता त्यागकर राजनीति में नहीं जाएंगे


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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