सागर, डेस्क रिपोर्ट। सागर जिले के गौरझामर के समीपस्थ ग्राम बिजोरा निवासी सुनील सौर और पत्नी रानी सौर को पहले से ही चार संतान हैं, जिनमें तीन लड़कियां और एक लड़का है। चौथी संतान में लड़का होने के बाद दंपति ने फैसला किया कि अब वह अपने चार बच्चों की परवरिश करेगें और अब और परिवार नहीं बढ़ाएगे, इसके बाद उन्होंने परिवार नियोजन नसबंदी कराने की ठानी और सुनील ने देवरी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 5 जनवरी 2020 को हुये शिविर में अपनी पत्नी श्रीमती रानी का नसबंदी आपरेशन करा दिया और मेहनत मजदूरी करते हुए वह परिवार को जैसे-तैसे चला रहे थे।
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लेकिन अचानक एक दिन दंपति उस वक़्त हैरान रह गए जब पेट दर्द की शिकायत पर पत्नी स्वास्थ्य केंद्र पहुंची तो उसे पता चला वह गर्भवती है, इसकी जांच व शिकायत करने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र देवरी पहुंचे। वहां उन्हें दिलासा देते हुए कहा गया कि बच्चा हो जाने दो, शासन की तरफ से आर्थिक मदद दी जाएगी। नसबंदी आपरेशन से करीब तेरह महीने बाद 19 जनवरी 2021 को सुनील के घर एक पुत्री ने जन्म लिया। सुनील के परिवार में अब चार पुत्री व एक पुत्र हैं। लाॅकडाउन में कोरोना के दौरान हुई इस घटना ने परिवार को हिलाकर रख दिया। अब उन्हें पांचवी अनचाहा बच्चे (नसबंदी फेल होने के कारण) की परवरिश कीे चिन्ता सता रही है। लगातार उन्होंने अधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग से गुहार लगाई है, उनकी मांग है कि सरकार उसे शीघ्र ही मुआवजा दे, जिससे वह अनचाही लड़की की भी परवरिश कर सके। हालांकि नसबंदी के फेल होने में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही सामने आई है जिसका खामियाजा अब दंपति को भुगतना पड़ रहा है। इस मामले में संज्ञान लेकर मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति नरेंद्र कुमार जैन ने कलेक्टर एवं मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सागर से एक माह में तथ्यात्मक जवाब मांगा है। साथ ही यह भी पूछा है कि क्या इस महिला को कोई मुआवजा दिया गया है या नहीं।