सीहोर, अनुराग शर्मा। शिक्षा के क्षेत्र में लगातार उत्कृष्ठ कार्य कर रहे कहोड़िया छीतू के माध्यमिक शाला में प्रभारी प्रधानाध्यपक के पद पर पदस्थ संजय सक्सेना (Sanjay Saxena) को राज्यपाल पुरस्कार (Governor’s Award) से सम्मानित किया जाएगा। सक्सेना शिक्षा के क्षेत्र में 18 साल से सेवा दे रहे हैं। उन्होंने कई शिक्षा के क्षेत्र में कई उत्कृष्ठ कार्य किए हैं। जिसमें बालिका शिक्षा और वंछित वर्ग के लिए किए गए महत्वपूर्ण कार्य शामिल हैं। इसके साथ ही समाजसेवा के क्षेत्र में भी कई महत्वपूर्ण कार्य यह अपने शिक्षक साथियों के साथ मिलकर कर रहे हैं।
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उनकी इस उपलब्धी पर उन्हें जिला शिक्षा अधिकारी एसपीएस बिसेन, डीपीसी अनिल श्रीवास्तव, संकुर प्रचार्य नीना दुबे, वीआरसीसी सुरेश गुप्ता, सतीश त्यागी, प्रदीप नागिया, राजेंद्र परमार, माधव सिंह यादव, नरेश मेवाड़ा, बलराम पंवार, दिनेश मेवाड़ा, रमेश मेवाड़ा, नरेंद्र सोलंकी, सुरेंद्र यादव, अभिषेक भार्गव, आशीष शर्मा, देवेंद्र साहू, विक्रम मालवीय, महेश मालवीय, जागेश्वर भगत, चंदर वर्मा, नरेश गुर्जर, दीपक राठौर आदि ने बधाई दी है। संजय सक्सेना ने बताया कि उनका चयन राज्यपाल पुरस्कार के लिए किया गया है। जिसकी सूचना उन्हें गुरुवार काे विभाग के उच्च अधिकारियों ने दी।
सक्सेना 2003 से शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। वे जिस भी स्कूल में पदस्थ रहे वहां का परिणाम शतप्रतिषत लाने का प्रयास किया है। जिसमें वे सफल भी रहे। ग्राम कहोडि़या छीतू में पदस्थ होने के बाद इन्होंने सबसे पहले स्कूल का उन्नयन किया। जिसके चलते गांव के सभी निजी स्कूल बंद हो गए। इसके बाद सक्सेना ने ग्राम की बालिकाओं की शिक्षा पर जोर दिया। ग्राम के एक समुदाय विशेष की बालिका ग्राम में हाई स्कूल न होने के कारण पढ़ाई छोड़ देती थी। जिसका कारण उन बालिकाओं के अभिभावकों में असुरक्षा का भाव था। सक्सेना ने इन बालिकाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी ली। जिसके बाद कई अभिभावकों ने अपनी बालिकाओं को हाई स्कूल भेजा।
सामाजिक क्षेत्र में भी कर रहे काम
सक्सेना शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षक होने के नाते लगातार काम कर रहे है। इसके साथ ही पर्यावरण के क्षेत्र में भी वे काम कर रहे हैं। वे बीते पांच साल में अपने शिक्षक साथियों के साथ मिलकर करीब एक हजार पौधे लगाकर उन्हें पेड़ बना चुके हैं। शहर में पक्षी संरक्षण के लिए सक्सेना और उनके साथियों ने पीहू-पीहू हब का निर्माण किया। वहीं कोरोना के समय भी शिक्षकों ने दल बनाकर जरूरतमंदों तक खाद्यान पहुंचाने का काम भी किया है। इसके अतिरिक्त कई क्षेत्रों में वे लगातार सक्रीय रहकर कार्य कर रहे हैं।