बड़ी कार्रवाई, बहुचर्चित सिकंदर के अय्याशी अड्डों पर चला प्रशासन का बुल्डोजर

Gaurav Sharma
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सतना, पुष्पराज सिंह बघेल। जिले के बहु चर्चित नाबालिग के साथ दुष्कृत्य और ब्लैक मेलिंग के आरोप में पकड़े गए सिकंदर की अय्याशी का अड्डा आखिरकार प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया। उत्तर प्रदेश के बिकरु की तर्ज पर अब मध्य प्रदेश के सतना में भी असमाजिक तत्वों पर कार्रवाई की, यह दूसरी नजीर है जब आपराधिक मामले में गिरफ्तारी के बाद उसकी अवैध सम्प्पति को धराशयी किया गया है। निगम प्रशासन ने भारी पुलिस बल की मजूदगी में बलात्कारी सिकंदर के ऐशगाह को जमीदोज कर दिया।

गौरतलब है कि अतीक मंसूरी उर्फ समीर खान उर्फ सिकंदर खान को नाबालिग लड़की से रेप करने और उसे ब्लैकमेल करने, सूदखोरी करने और जालसाजी करने के मामले में पुलिस ने पकड़ा था । उसके खिलाफ प्रशासन और पुलिस ने चौतरफा घेराबंदी करते हुए  तमाम कार्रवाइयां की हैं। उसके बेजा कब्जे चिन्हित किये गए हैं और अवैध निर्माणों को भी निशाने पर लिया गया है। नगर निगम ने नजीराबाद स्थित सिकंदर के फार्म हाउस का निर्माण भी अवैध पाया था। लिहाजा 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था।

नोटिस की मियाद खत्म होने के बाद अब नगर निगम के अमले ने पुलिस बल के साथ नजीराबाद में फार्म हाउस ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। लाव लश्कर के साथ पहुंची टीम ने सिकंदर के अय्याशी के अड्डे को नेस्तनाबूद कर दिया। यह फार्म हाउस सतना नगर निगम क्षेत्र के नजीराबाद में 5 हजार स्क्वायर फुट आराजी में बना था। फार्म हाउस से पुलिस ने भी कैमरे ,डीवीआर सारे दस्तवेज पहले ही जब्त कर लिए थे ।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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