शिवना के मंच से लेखकों की पुस्तकों का विमोचन

सीहोर। अनुराग शर्मा| हमारा इतिहास सबसे प्राचीन है, इसको कोई मिटा नहीं सका है, यूरोप, चीन और अमेरिका आदि का इतिहास मात्र दो से तीन हजार वर्ष पूर्व का है। पुस्तक एक सोच व सच्चा हमसफर है। यह इंसान की सभ्यता को परिभाषित करती है। लोगों की विचारधारा लेखक की लेखनी से प्रभावित होती है। एक दौर था जब आजादी के बाद कंटेंट विदेशों से आता था, लेकिन अब सर्वाधिक कंटेंट भारत से आ रहे हैं, जो हिंदुस्तानी सभ्यता व संस्कृति को मुकाम तक पहुंचा रहे हैं। उक्त विचार शहर के बस स्टैंड सम्राट कॉप्लैक्स स्थित पीसी लेब में आयोजित शिवना प्रकाशन मंच पर आयोजित पुस्तक विमोचन कार्यक्रम के दौरान यहां पर मौजूद माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति दीपक तिवारी ने कहे।

श्री तिवारी ने कहा कि लेखक और साहित्यकार के लिए भाषा न केवल एक औजार है बल्कि एक ऐसा सेतु भी जिसके जरिए वह दूसरों तक पहुंच कर अपनी कल्पना और संवेदना से उसे ज्यादा मानवीय ज्यादा संवेदनशील बनाने की अघोषित और संवेदनशील कोशिश करता है। उन्होंने इस मौके पर लेखक ब्रजेश राजपूत की वो 17 दिन, लेखक मोतीलाल आलमचंद्र की सांची दानं और लेखक ज्योति ठाकुर की पुस्तक सफर में धूप बहुत थी की जमकर तारीफ करते हुए कहा कि उक्त तीनों लेखकों की पुस्तकें उनके संघर्ष की अपनी कहानी है। उन्होंने भी अपनी दो पुस्तकों के बारे में विचार प्रकट किए।


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न्यूज डेस्क, Mp Breaking News

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