हिंदू भगवानों के फोटो वाले फटाके पर बजरंग दल ने जताई आपत्ति, दुकानदारों को दी समझाइश

Gaurav Sharma
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सीहोर, अनुराग शर्मा। विश्वहिंदू परिषद बजरंग दल दीपावली पर चीन निर्मित हिंदू देवी देवताओं के फोटो छपे बम फटाके बेचने वाले आतिशबाजी विक्रेताओं के खिलाफ इस वर्ष कड़ा एक्शन लेगा। फिलहाल कार्यकर्ताओं के द्वारा आतिशबाजी विक्रेताओं को दुकानों पर पहुंचकर समझाईश दी जा रहीं है। फिर भी अगर आतिशबाजी दु़कानदारों ने हिन्दू धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने की कोशिश की तो बजरंग दल अपने तरीके से कार्रवाई कर संबंधित के विरूद्ध एफआइआर भी दर्ज कराएगा।

विश्वहिंदू परिषद बजरंग दल जिलाध्यक्ष सुनील शर्मा के नेतृत्व में बीते दिनों से कार्यकर्ताओं के द्वारा संस्कृति बचाओं अभियान के तहत आतिशवाजी दुकानदारों से किसी भी हालत में धार्मिक देवी देवताओं के चित्र छपे बम फटाके नहीं बेचने की अपील की जा रहीं है।

जिला मंत्री राकेश विश्वकर्मा ने कहा कि लगातार हिन्दू देवी देवताओं के आपत्तिजनक फोटो बनाकर भावनाओं  को  कुछ धर्म विशेष  के लोगों के द्वारा ठेस पहुंचाई जा रही है। एैसे हालातों में चाइना के द्वारा भी माता लक्ष्मी और भगवान गणेश जी हनुमान जी महाराज के फोटो वाले फटाके बाजार में उतारे गए है।

विहिप इस तरह के बम फटाके बेचने वाले थोक और फूटकर आतिशबाजी विक्रेताओं पर कड़ी कार्रवाई करने जा रहा है। किसी को भी धर्म के साथ खिलवाड़ करने का हक नहीं है। हिंदू देवी देवताओं के फोटो या नाम से बेचे जाने वाले फटाके को पूर्णा प्रतिबंधित किया गया है। दुकानदारों पर प्रशासनिक कार्रवाई करवाने के लिए भी तत्पर रहेगा है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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