सीहोर में ‘बाल दिवस’ पर भी धूल खा रही है पंडित जवाहरलाल नेहरु की प्रतिमा, दो पूर्व प्रधानमंत्री की प्रतिमाओं में एक का रखरखाव दूसरे की उपेक्षा

आज स्थिति ये हो गई है कि लोग ही नहीं, बल्कि प्रतिमाएं भी राजनीतिक भेदभाव का शिकार हो रही हैं। लोगों का मानना है कि राजनीतिक विचारधारा के चलते ही यहां पं. नेहरू की प्रतिमा की अनदेखी की जा रही है। ताज्जुब की बात ये है कि आज उनके जन्मदिन पर भी किसी को इस बात का खयाल नहीं आया कि उनकी प्रतिमा की साफ सफ़ाई करा दी जाए। ऐसे में ये सवाल उठने स्वाभाविक हैं कि हम अपने पुराने नेताओं को किस तरह याद रख रहे हैं और उनकी स्मृतियों को कैसे सहेज रहे हैं।

Nehru Statue

Jawaharlal Nehru’s Statue Neglected : आज बाल दिवस है और इस मौके पर भी सीहोर में बच्चों के प्रिय पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा धूल खा रही है। ये स्थिति अरसे से बनी हुई है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी  के संस्थापक व पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लीसा टॉकीज चौराहे पर स्थापित प्रतिमा की नियमित देखभाल और साफ-सफाई की जा रही है। यहां जिला मुख्यालय पर बीजेपी के विधायक और बीजेपी के ही नगर पालिका अध्यक्ष है और किसी की भी निगाह पंडित नेहरु की प्रतिमा पर नहीं पड़ी है।

इस असमान रवैये को लेकर शहर में चर्चाएं भी हैं और नाराजगी भी। स्थानीय लोगों का कहना है कि कम से कम बाल दिवस जैसे खास दिन पर को पंडित नेहरू की प्रतिमा की ओर ध्यान देना चाहिए। आज 14 नवंबर है और बच्चों के बीच लोकप्रिय ‘चाचा नेहरू’ के जन्मदिन को देशभर में बाल दिवस के रूप में माया जा रहा है। लेकिन सीहोर में उनकी प्रतिमा आज भी उपेक्षित है।

पंडित नेहरू की प्रतिमा की उपेक्षा

दरअसल सीहोर में दो पूर्व प्रधानमंत्री की प्रतिमा लगी है। एक प्रतिमा शहर के लीसा टॉकीज चौराहा पर लगी है, जो बीजेपी के लोकप्रिय नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की है, जबकि दूसरी प्रतिमा भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू है जो शहर के बस स्टैंड स्थित पार्क में लगी है। यहां वाजपेयी जी की प्रतिमा की तो देखरेख होती है लेकिन विडंबना है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा की बरसों से उपेक्षा हो रही है। न तो उसकी साफ़ सफ़ाई होती है न ही आसपास के इलाके की ओर ध्यान दिया जाता है।

बता दें कि जिला मुख्यालय में बीजेपी के विधायक हैं और नगर पालिका अध्यक्ष भी बीजेपी से ही हैं। ऐसे में लोगों का मानना है कि दलगत राजनीति के कारण पंडित नेहरू की प्रतिमा की उपेक्षा की जा रही है। हाल ये है कि बाल दिवस पर भी इस प्रतिमा पर किसी की नज़र नहीं पड़ी। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि हम अपने पुराने नेताओं को किस तरह याद रखते हैं और पार्टी के खांचे में बांटकर देखते हैं। कम से कम आज के दिन तो जवाहरलाल नेहरू की प्रतिमा पर ध्यान दिया जाना था। लेकिन बदलते दौर में प्रतिमाएं भी राजनीति का शिकार होने लगी हैं।

सीहोर से अनुराग शर्मा की रिपोर्ट

 


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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