यहां बच्चों के लिए नहीं स्कूल, निजी घर में लग रही क्लास

सीहोर| अनुराग शर्मा| आजादी के सात दशक बाद भी प्रदेश में शिक्षा की हालत दयनीय है| कहीं शिक्षक नहीं तो कहीं स्कूल के लिए भवन भी नहीं|  सीहोर से सटे हुए गांव पतलोना में शासकीय प्राथमिक शाला तो है और दो शिक्षिकाएं भी है तथा 20 से अधिक छात्र पढ़ते हैं और नियमित स्कूल आते पर स्कूल भवन ही नहीं है। जी हां यहां पिछले 5 वर्षों से निजी घर में स्कूल लग रहा है | जिस घर में स्कूल लग रहा है वहां परिवार भी रहता है और स्कूल भी चलता है|  ढाई सौ परिवारों के इस गांव में स्कूल में 20 से अधिक छात्र नियमित पढ़ने आते हैं लेकिन स्कूल भवन नहीं होने से उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

अब आमतौर पर देखने में आता है की कई प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में छात्रों की संख्या बहुत कम है पर बड़े-बड़े भवन हैं लेकिन इससे स्कूल में छात्र तो है पर भवन नहीं, सहायक प्राध्यापक वंदना यादव ओर गीता विसोरिया ने बताया की पहले हम खुले में स्कूल लगाते थे पर अब हम गांव के एक व्यक्ति के निजी घर में बच्चों को पढ़ाते है| हम शिक्षकों को और छात्रों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।


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