Sehore News: मध्य प्रदेश के सीहोर में जिला शिक्षा अधिकारी ने शिक्षकों को एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिलस्ट्रेट का हवाला देते हुए विद्यालयी कार्यों से मुक्त कर 9 दिनों के लिए गैर शिक्षकीय कार्य में लगा दिया है। जहां शिक्षकों की ड्यूटी तहसील में आयोजित धार्मिक कार्यक्रमों में लगा दी है। जिसके बाद राज्य के शासकीय शिक्षक संगठन के प्रांत अध्यक्ष ने इस पर आपत्ति जताई है। आइए विस्तार से जानते हैं कि क्या है पूरा मामाल…
प्रांताध्यक्ष ने की निंदा
वहीं, प्रांताध्यक्ष ने जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश की निंदा करते हुए कहा कि मैं और मेरा संगठन ईश्वर के प्रति पूरी आस्था रखता है लेकिन धार्मिक आयोजनों में सेवा के नाम पर शिक्षकों के साथ इस तरीके का मजाक पिछले कई सालों से चलता आ रहा है। उनसे कभी जूते-चप्पल इकट्ठा करने में डयूटी, कभी पूडी-सब्जी बांटने में डयूटी, कभी नाकों पर डयूटी और अब पुलिस बल के साथ डयूटी वो भी तब जब वार्षिक परीक्षाएं प्रारंभ हो चुकी हैं।
आदेश निरस्त करने की अपील
मामले को लेकर प्रांताध्यक्ष राकेश दुबे ने मुख्यमंत्री, मध्य प्रदेश शासन, स्कूल शिक्षामंत्री, अध्यक्ष/सचिव, बाल संरक्षण आयोग मध्य प्रदेश, प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा वल्लभ भवन भोपाल, आयुक्त लोकशिक्षण संचालनालय भोपाल एवं कलेक्टर जिला सीहोर को पत्र लिखकर अनुरोध किया है। जिसमें उन्होंने अपील कि है कि इस आदेश को तत्काल निरस्त किया जाए। साथ ही जिला शिक्षा अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए। इसके अलावा उन्होंने राजस्व अथवा अन्य विभाग के उस अधिकारी के खिलाफ भी कार्यवाई की जाए। जिसने जिला शिक्षा अधिकारी सीहोर को इस तरह से शिक्षकों की भावनाओं एवं छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करने के लिए निर्देशित किया है।
आंदोलन के लिए मजबूर होगी संगठन
शासकीय शिक्षक संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष उपेंद्र कौशल, महासचिव जितेंद्र शाक्य, संभागीय अध्यक्ष भोपाल कमल बैरागी, जिलाध्यक्ष भोपाल राजेश साहू एवं जिलाध्यक्ष सीहोर मुकेश कुशवाहा सहित संगठन के सभी वरिष्ठ पदाधिकारियों इन गैर जिम्मेदाराना हरकत वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपील की है। साथ ही यह भी कहा है कि अगर कार्यवाही नहीं की जाती है तो शासकीय शिक्षक संगठन के साथ-साथ समूचा शिक्षक संवर्ग लामबंद होकर आंदोलन करने के लिए मजबूर होगी।
गौरतबल है कि वर्तमान में मध्यप्रदेश में कक्षा 5वीं एवं 8वीं की वार्षिक परीक्षाएं आयोजित हो रही हैं। जहां शिक्षकों के वर्ष भर की मेहनत का मूल्यांकन हो रहा है। इस दौरान छात्रों का मनोबल एवं भविष्य दांव पर लगा हैं। ऐसे में जिला शिक्षा अधिकारी का ये आदेश गरमा गया है।