सीहोर, अनुराग शर्मा। सीहोर जिला हॉस्पिटल की पहली तस्वीर आपको विचलित कर सकती है, लेकिन यह तस्वीर सिस्टम की सेहत पर जरा भी असर नहीं छोड़ेगी, क्योंकि इस सड़ियल सिस्टम की आत्मा कब की मर चुकी है। यह तस्वीर है पिता पुत्री की, सीहोर शहर के नजदीक घटित सड़क हादसे में बाइक सवार पति पत्नी और बेटा, बेटी गम्भीर रूप से घायल हो गए। अस्पताल लाते वक्त मासूम बालिका की मौत हो गई।
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रेफरल सेंटर बन चुके ट्रामा सेंटर से पति, पत्नी और बेटे को भोपाल रेफर कर दिया गया, लेकिन उन्हें ले जाने के लिए एम्बुलेंस नहीं थी। बताया जाता है एक एम्बुलेंस सीएम ड्यूटी में डॉक्टरों को ले गई है तो एक सुधरने पड़ी है। नतीजतन एम्बुलेंस के इंतज़ार में पिता ने भी दम तोड़ दिया। लगभग 40 मिनिट के इंतज़ार के बाद 108 एम्बुलेंस आई तब कहीं जाकर घायल महिला और उसके बेटे को भोपाल भेजा जा सका।
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बाहर आने पर नर्सिंग होस्टल के केम्पस में खड़ी एम्बुलेंस पर नजर पड़ी। इस नई नवेली एम्बुलेंस के पास ही एक ओर एम्बुलेंस खड़ी है जो शायद खराब है, लेकिन जो नई एम्बुलेंस है उससे अगर समय रहते मरीज को भोपाल भेज दिया जाता तो शायद उसकी जान बच सकती थी। आप वीडियो में देख सकते हैं कि नई एम्बुलेंस सिर्फ दिखाने के लिए खड़ी की गयी है। जबकि इसका इस्तेमाल मरीजों के लिए होना चाहिए।
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आपको बता दें 29 अप्रैल 2022 को यानि ठीक 2 दिन पहले सीएम शिवराज एकीकृत रेफरल ट्रांसपोर्ट अंतर्गत नवीन एम्बुलेंस वाहनों का शुभारम्भ कर के गए हैं। उसके बावजूद अधिकारीयों के कान पर जूं तक नहीं रेंगती। क्या किसी प्रशासनिक अधिकारी के साथ यह हादसा होता तो क्या उनके लिए भी एम्बुलेंस का रोना रोया जाता? घायल रेफर बच्चे की उम्र मात्र 10 वर्ष वहीँ मृतक बच्ची की उम्र 5 वर्ष थी।