Shivpuri News : शिवपुरी जिले की करैरा तहसील के बहगवां गांव से इ ऐसी खबर सामने आई है जिसने न सिर्फ चौंका दिया है बल्कि ये सोचने पर भी मजबूर कर दिया है क्या हम आज भी पुराने दौर में ही जी रहे हैं, समाज में हुई प्रगति और बदली सोच क्या अभी ग्रामीण क्षेत्र तक नहीं पहुंची..चलिए आपको बताते हैं कि आखिर मामला क्या है?
दरअसल जाटव समाज के 40 परिवारों एक हिंदू धर्म त्याग कर बौध धर्म अपनाने की खबर सामने आई है, इसकी जो वजह सामने आई है वो ये है कि गांव में हुई भागवत कथा के भंडारे में इन लोगों को परस करने यानि पत्तल परोसने से रोक दिया गया हालाँकि गांव के सरपंच ने इन आरोपों को निराधार बताया है उन्होंने ग्रामीणों को बहला फुसला कर बौध धर्म स्वीकार कराने का आरोप लगाया है।
आरोप – जाटव समाज के लोगों को भंडारे में पत्तल परोसने से रोका
जो जानकारी सामने आई है उसके मुताबिक गांव के लोगों ने चंदा कर भागवत कथा कराई थी, काम सामूहिक था इसलिए जवाबदारी भी अलग अलग समाजों को सौंपी गई, जाटव समाज को भंडारे में पत्तल परोसने और झूठी पत्तल उठाने का काम सौंपा गया था, बकौल बौद्ध नेता महेंद्र बौद्ध इस जिम्मेदारी के बाद किसी ने कहा कि यदि ये लोग पत्तल परोसेंगे तो वे अशुद्ध हो जाएँगी इनसे केवल झूठी पत्तल उठवाई जाएँ, केवल झूठी पत्तल उठाओ नहीं तो जाओ, इसी छुआछूत के कारण हम सभी 40 परिवारों ने हिंदू धर्म छोड़ दिया और बौद्ध धर्म अपना लिया।
बड़ा आयोजन कर करवाया गया धर्मान्तरण
भागवत कथा के भंडारे से एक दिन पहले 31 जनवरी को जाटव समाज के इन 40 परिवारों को हिंदू धर्म का परित्याग कर बौद्ध धर्म अपनाने की शपथ दिलवाई गई। इसके लिए गांव में एक बड़ा कार्यक्रम किया गया जिसमें सभी ने हिंदू देवी देवताओं राम, शिव, विष्णु, देवी, गणेश सबको देवता मानने से इंकार करने की शपथ ली , मंच पर मौजूद बौद्ध समाज के लोगों ने वहां से शपथ बोली और फिर सभी 40 परिवारों के सदस्यों ने हाथ उठाकर शपथ को दोहराया।
सरपंच ने आरोपों को बताया निराधार
उधर गांव के सरपंच गजेंद्र रावत के आरोपों को निराधार बताया उन्होंने कहा कि एक दिन पहले जी जाटव समाज के लोगों ने भागवत कथा में खुद अपने हाथ से प्रसाद बांटा जिसे पूरे गांव ने लिया किसी ने उनसे कुछ नहीं कहा, उन्होंने कहा कि गांव में बौद्ध भिक्षु आये थे उन्होंने लोगों को बहलाया फुसलाया और धर्म परिवर्तन करवाया है। गांव में किसी भी समाज के बीच कोई बैर नहीं है सभी मिलजुलकर रहते हैं। सरपंच ने कहा कि अनुसूचित जाति के दूसरे परिवारों ने पत्तल परसी भी और झूठी पत्तल उठाई भी, जो कारण बताया जा रहा है वो गांव को बदनाम करने की साजिश है।