कोरोना काल में राशन घोटाला, हितग्राहियों को सात महीने से नहीं मिला राशन

शिवपुरी, शिवम पाण्डेय। जिले के खनियाधाना में बड़ा राशन घोटाला सामने आ रहा है। गांव वालों का कहना है कि कोरोना काल के दौरान जिम्मेदार आला अधिकारियों और माफियाओं ने मिलकर गरीबों को मिलने वाला राशन बेच दिया। शासकीय उचित मूल्य की दुकान से राशन वितरण में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है, दुकान संचालक ने हितग्राहियों को सात माह से राशन नहीं बांटा है। हितग्राहियों का आरोप है कि सेल्समैन अधिकारियों के साथ मिलकर राशन की कालाबाजारी कर रहे हैं।

ये घोटाला कोरोना काल में हुआ है मामला है खनियाधाना के ग्राम खडीचरा का, जहां
खडीचरा में खाद्य विभाग के कुछ अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत द्वारा कोरोना काल में गरीबों के लिए आए राशन की कालाबाजारी का मामला सामने आया है। शासकीय उचित मूल्य दुकान में पीडीएस के तहत गरीबों को वितरित किए जाने वाले गेंहू, चावल, शक्कर, नमक और नीले मिट्टी तेल को खुले बाजार में बेचने की शिकायत खाद्य विभाग को कई महीने से मिल रही है, लेकिन शिकायतों के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। इस कारण संबंधित अधिकारियों की इसमें मिलीभगत होने का अंदेशा उपज रहा है।

ग्राम खडीचरा सदूपुरा मजरा पर उचित मूल्य की दुकान पर जमकर कालाबाजारी करने का मामला सामने आया है। यहाँ गरीबों के लिए सरकार द्वारा चलाए जा रहे सबसे महत्वपूर्ण राशन वितरण योजना पर दुकान संचालक ने कोरोना काल से लेकर अभी तक के राशन की कालाबाजारी कर दी। हालत यह है कि सीएम हेल्पलाइन में शिकायत करने के बाद भी ग्रामीणों की कोई सुनवाई नहीं हुई है। यहां मुख्यमंत्री शिवराज चौहान की महत्वपूर्ण योजना राशन वितरण सहित सीएम हेल्पलाइन की खुलेआम धज्जियां उड़ाई गई है। राशन वितरण में कोरोनाकाल से लेकर अभी किस तरह भ्रष्टाचार मचा हुआ है ये खनियाधाना में साफ दिखाई दे रहा है। दुकान संचालक हितग्राहियों के हक पर डाका डालकर सरकार सहित हितग्राहियों के साथ भी बेईमानी कर रहे हैं।

मुख्यमंत्री के मंसूबों के खिलाफ 
शासकीय उचित मूल्य की दुकानों पर भ्रष्टाचार ने मुख्यमंत्री के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। हितग्राहियों को इन दुकानों पर राशन नहीं मिलने से वे परेशान हो रहे हैं। सीएम हेल्पलाइन में शिकायत के बाद भी ग्रामीणों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इसमें कुछ संबंधित कर्ताधर्ताओ की मिलीभगत भी सामने आ रही है। ग्रामीणों का आरोप है कि कार्ड से उनका नाम काटकर उनसे जबरन पैसे वसूले जा रहे हैं, इतना ही नहीं परिवार के सदस्य का नाम नहीं होना बताकर राशन भी कम दे रहे हैं जबकि ऑनलाइन चेक करने पर पूरा राशन देना दिखाया जा रहा है।

इनका कहना है

पूरन सिंह आदिवासी– हमें कोरोना काल से अभी तक कोई भी राशन नहीं मिला है, दुकान पर जाने पर सेल्समेन कहता है कि अभी माल नहीं आया।

बाबू आदिवासी – सीएम हैल्पलाइन में फोन लगाने के बाद भी ग्रामीणों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है। जब दबाव पड़ता है कही और से तो कार्ड से उनका नाम काटकर उनसे जबरन पैसे वसूल लेता है। इतना ही नहीं परिवार के सदस्य का नाम नहीं होना बताकर राशन भी कम दे रहा है, जबकि ऑनलाइन चेक करने पर पूरा राशन देना दिखा रहा है।

गरीबों के हक डकैती डालना एक बहुत बड़ा पाप है इस संपूर्ण मामले की शिकायत हम खाद आपूर्ति विभाग के मंत्री से करेंगे। धैर्यवर्धन शर्मा, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य भाजपा

आपने जिस गांव का नाम बताया है वहां पर जाकर जांच करेंगे आखिर क्या मामला है राशन क्यों नहीं बंटा। पीसी चंद्रवंशी, फूड इंस्पेक्टर पिछोर


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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