Shivpuri Bank Fraud, Shivpuri News : प्रदेश के शिवपुरी जिले से चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जहां कोलारस शाखा के चपरासी ने अपने ही बैंक से करोड़ों रुपए का गबन किया है। बैंक का पूरी तरह से कंगाल हो चुका है। साथ ही खाता धारको के पैसे भी फंस गए है। बैंक खाताधारकों के पैसे तक नहीं लौटा पा रहा है। इतना ही नहीं ऑनलाइन ट्रांजैक्शन भी बंद कर दिए गए हैं।
80 करोड़ रुपए से ज्यादा का गबन
प्रदेश के शिवपुरी जिले में केंद्रीय सहकारी बैंक की कोलारस शाखा में चपरासी के पद पर कार्यरत 52 वर्षीय राकेश पाराशर द्वारा बैंकों में फाइल इधर उधर पहुंचाने का काम किया जाता था। चपरासी द्वारा अपने ही बैंक से 80 करोड़ रुपए से ज्यादा का गबन किया गया है।
अधिकारी का बयान
इस मामले में अपेक्स बैंक भोपाल के MD पीएस तिवारी का कहना है कि घोटाले में जिन लोगों के खाते से लेन-देन हुआ है। उनसे पर केस दर्ज करने के लिए महाप्रबंधक और प्रशासन को चिट्ठी लिखी गई है। जल्दी खाताधारकों को पैसे लौटाए जाएंगे।
चपरासी अपनी लाइफ स्टाइल पर करता था खर्च
इस फर्जीवाड़े और गबन की राशि का इस्तेमाल चपरासी अपनी लाइफ स्टाइल पर करता था। राकेश पराशर ने सोने के लिए गोल्ड की चारपाई बनवाई थी। सोने की थाली में खाना खाता था। परिवार के ऐशो आराम पर पड़ोसी सकते में थे। वहीं राकेश का कहना था कि उसे गड़ा हुआ धन मिला है।
इस तरह किया फर्जीवाड़ा
दरअसल कोलारस शाखा में चपरासी के साथ-साथ अधिकारी गण द्वारा राकेश पाराशर से कैशियर का भी काम लिया जाता था। राकेश द्वारा अपने रिश्तेदार सहित भाई और भरोसेमंद लोगों के नाम पर बैंक में खाता खोले गए। इन खातों में पैसे जमा करने के लिए फर्जी वाउचर तैयार किया गया। जिसकी एंट्री उन खातों में कर दी गई, जिनमें वह पैसे जमा दिखाने चाहते थे।
फर्जी वाउचर के जरिए रकम डालने के बाद हकीकत में बैंक में कोई पैसा नहीं होता था। वाउचर की एंट्री से खाते में पैसे जमा होने और बैंक में कैश बैलेंस में पैसा केवल कागजों में ही नजर आता था। राकेश पराशर रोजाना ट्रांजैक्शन में हेरफेर करने के साथ ही बैंक के लिए लेजर और जनरल खाते में भी इसकी एंट्री करता था। ताकि हेड ऑफिस के रिकॉर्ड में इसमें अंतर देखने को ना मिले। इतना ही नहीं फर्जी तरीके से जमा की गई पैसे को निकालने के लिए राकेश पराशर ग्राहकों के नाम का इस्तेमाल करता था और ग्राहकों द्वारा पैसे निकालना बताकर नकद रकम की डिमांड हेड ऑफिस को भेजता था। जिसके बाद एसबीआई द्वारा कोलारस शाखा में राशि भेजी जाती थी। जिसकी राशि भी राकेश पाराशर खुद रख लेता था।
साल 2013 से इस फर्जीवाड़े को दे रहा था अंजाम
जानकारी के मुताबिक राकेश पाराशर द्वारा साल 2013 से इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया जा रहा था। 2021 में अत्यधिक राशि के हेरफेर के बाद उसे पकड़े जाने का भय लगने लगा। ऐसे में जनरल लेजर खाते को दुरुस्त करने की प्रक्रिया शुरू हुई। बैंक की तरफ से 37 करोड़ रुपए डेबिट हो चुके थे। जिसे छिपाने के लिए राकेश पाराशर द्वारा लुकवासा सोसाइटी के कृषि ऋण खाते को डेबिट कर जनरल लेजर खाते में 37 करोड़ रुपए जमा किए गए। हालांकि यह राशि बैंक की कृषि ऋण की मांग वसूली में शामिल हो गई। जिसके बाद इस बैंक का सबसे बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया।