शिवपुरी, मोनू प्रधान। गरीब आदिवासी समुदाय के बंधुआ मजदूरों सहरिया जनजाति के लोगों को उचित मान-सम्मान दिलाने के अधिकार के सरकारी प्रयास कागजों पर ही नज़र आते हैं लेकिन वादों और दावों का हकिकत से कम ही वास्ता रहा है।
यह भी पढ़ें- बालिकाओं के लिए CM Shivraj के बड़े ऐलान, मिलेगी अन्य सुविधाएं, राज्य स्तर पर होगा आयोजन
(Shivpuri News) ग्वालियर चम्बल संभाग में सहरिया आदिवासी गांव के साहूकारी के ब्याज तले दब कर दशकों से जीवन गुजारने पर मजबूर है। इन सबके बीच आशा की एक किरण के रूप में सहरिया क्रांति सार्थक प्रयास के रूप में देखी जा रही है। सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन बंधुआ मजदूरों के हालात में सुधार हेतु लगातार प्रयासरत हैं। 1975 में बने कानून ने बंधुआ मजदूरी को संज्ञेय दंडनीय अपराध घोषित कर कुछ राहत तो दी लेकिन कहीं ना कहीं इस कानून का सख्ती से पालन नहीं किया गया।
यह भी पढ़ें- Jabalpur News : डॉ यादव बने MP-CG न्यूरोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया के पहले अध्यक्ष
चम्बल संभाग में मानवाधिकार हनन, पुलिस प्रताड़ना, झूठे केस की घटना इस संदर्भ में आम हो गई है।
ताजा मामले की बात करें तो सहरिया क्रांति ने शिवपुरी कोतवाली पुलिस की मदद से एक आदिवासी सहित परिवार के पांच सद्स्यों को बंधुआ मजदूरी से मुक्त करवाया।
बंधुआ मज़दूरी उन्मूउलन अधिनियम 1978 के हम सारे सदस्यों ने अपराध की श्रेणी में रखकर काफी काम किया गया। इस अधिनियम के अनुसार
यह भी पढ़ें- Jabalpur News : युवती की मौत पर सियासत शुरू, नाबालिगों की गिरफ्तारी और कैंडल मार्च का प्रदर्शन
• बंधुआ मजदूर प्रणाली को समाप्त किया जाए।
• भगवा मजदूरी से जुड़ी हर रीति-रिवाज़, लिखित करार को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाए।
• इस अधिनियम के अनुसार बंधुआ ऋण या देनदारी को तुरंत प्रभाव से समाप्त करने का प्रावधान भी है।
संविधान में मौजूद अन्य कानूनों को सख्ती से पालन करवाने और बंधुआ मजदूरों को उचित मान-सम्मान दिलवाने के लिए सहरिया क्रांति लगातार प्रयासरत हैं।