Video : “महारानी” प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया का अलग अंदाज, चखा पान, कचौरी और नमकीन का स्वाद, चूड़ी, बिंदी, सिंदूर के रेट भी लिए
प्रियदर्शिनी राजे ने कोलारस के बाजार में नमकीन और कचौरी का भी स्वाद लिया उन्होंने दुकानदार से बातचीत की और सिंधिया को वोट देने के अपील की, वे जमीन पर बिंदी, चूड़ी, सिंदूर, महावर बेच रहे छोटे दुकानदारों के पास भी पहुंची और उनसे भी बात की और वोट देने की अपील की।
Priyadarshini Raje Scindia Video : लोकसभा चुनावों में अलग अलग रंग दिखाई दे रहे हैं, प्रत्याशी के साथ जहाँ पार्टी कार्यकर्ता पूरी मेहनत कर रहा है वहीं प्रत्याशी का परिवार भी उसके लिए वोट मांग रहा है, गुना सीट से चुनाव लड़ रहे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रचार में उनकी पत्नी प्रियदर्शिनी राजे और पुत्र महाआर्यमन सिंधिया भी जुटे हुए हैं , इसी क्रम में आज “महारानी” प्रियदर्शिनी राजे का अलग अंदाज देखने को मिला।
प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया आज सुबह कोलारस विधानसभा क्षेत्र में प्रचार के लिए पहुंची उन्हें जनसंपर्क करना था लेकिन वे अचानक बस स्टैंड बाजार की तरफ मुड़ गई, उन्होंने दुकानदारों से अपने पति ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए वोट देने की अपील की, इसी दौरान उनकी नजर एक पान की दुकान पर पड़ गई, स्थानीय लोगों ने कहा महारानी साहब ये यहाँ का मशहूर पान वाला है।
Continue Reading
कोलारस के बाजार में महारानी ने पति ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए मांगे वोट
इतना सुनते ही “महारानी” पान वाले के पास पहुंच गई और पान के पत्ते को टेस्ट करने लगीं, उन्होंने बंगला पान, देसी पान का स्वाद चखा फिर पूछा देसी मतलब एमपी का ..ये थोड़ा तीखा है…महारानी को सामने देख बेहद खुश दुकानदार ने उनसे उसकी दुकान का स्पेशल मीठा पान चखने की गुजारिश की जिसे प्रियदर्शिनी राजे ने स्वीकार कर लिया फिर उन्होंने पान खाया और अपने साथ मौजूद कुछ महिलाओं को भी स्पेशल पान खिलाया और उसकी तारीफ की।
प्रियदर्शिनी राजे ने कोलारस के बाजार में नमकीन और कचौरी का भी स्वाद लिया उन्होंने दुकानदार से बातचीत की और सिंधिया को वोट देने के अपील की, वे जमीन पर बिंदी, चूड़ी, सिंदूर, महावर बेच रहे छोटे दुकानदारों के पास भी पहुंची और उनसे भी बात की और वोट देने की अपील की। महारानी प्रियदर्शिनी राजे का ये अंदाज कोलारस में चर्चा का विषय बना हुआ है।
About Author
Atul Saxena
पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....
पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....