मोरवा पुलिस का ऑपरेशन शिकंजा, भारी मात्रा में अवैध शराब के साथ तस्कर गिरफ्तार

Gaurav Sharma
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सिंगरौली, राघवेन्द्र सिंह गहरवार। पुलिस अधीक्षक वीरेन्द्र सिंह के दिशा निर्देश और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रदीप शेन्डे के मार्गदर्शन में अवैध शराब तस्करों के खिलाफ चलाए जा रहे विशेष अभियान के तहत अनुविभागीय अधिकारी के सतत् निगरानी में मोरवा थाना प्रभारी मनीष त्रिपाठी द्वारा शराब तस्करों पर कार्रवाई जारी है। कल देर शाम भी एक शराब तस्कर को 50 लीटर से अधिक हाथ भट्टी महुआ शराब के साथ गिरफ्तार किया गया था।

जानकारी अनुसार बीती शाम मुखबिर के सूचना के आधार पर झिगुरदह खदान में चल रहे प्राइवेट कंपनी के पास छुपाकर 2 जरकीनों में रखी गई कुल 56 लीटर हाथ भट्टी महुआ शराब जब्त की है। पुलिस ने शराब बेचने के आरोप में दिलीप कुमार भारती पिता गौरीशंकर भारती निवासी पंजरेह बस्ती को अपराध क्रमांक 395/ 20 धारा 34(2) आबकारी एक्ट के तहत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया है। गौरतलब है कि पिछले 1 सप्ताह में 14 लोगों को अवैध शराब के साथ गिरफ्तार कर 300 लीटर शराब जब्त की गई है।

वहीं एक अन्य मामले में बदमाश उमेश मिश्रा निवासी साईं नगर कॉलोनी को धारदार हथियार के दम पर दहशत फैलाते हुए पकड़ा गया है। उक्त आरोपी को धारा 25(बी) आर्म्स एक्ट के तहत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया है। आरोपी के ऊपर पूर्व में भी 10 अपराधिक मामले दर्ज बताए जा रहे हैं। उक्त कार्रवाई में सहायक उपनिरीक्षक साहब लाल सिंह, प्रधान आरक्षक संतोष चंदेल, अजीत सिंह, अरविंद चौबे, डी एन सिंह, राजवर्धन सिंह, बृहस्पति पटेल, आरक्षक संजय सिंह परिहार व मंगलेश्वर शामिल रहे।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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