Singrauli :आयुष्मान कार्ड बनाने के नाम पर ग्रामीणों से ठगे लाखों रूपए, पुलिस ने ठग को किया गिरफ्तार

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सिंगरौली, राघवेन्द्र सिंह गहरवार। सिंगरौली (Singrauli) में मोरवा पुलिस (Morwa Police) ने क्षेत्र के भोली भाली ग्रामीण जनता से पैसों की ठगी करने वाले शातिर कियोस्क संचालक को गिरफ्तार करने में कामयाबी हासिल की है। आरोपी आयुष्मान कार्ड बनाने के बहाने लोगों का डुप्लीकेट फिंगर स्क्रीन बनाकर उनके खाते से पैसों की ठगी करता था। आपको बता दें कि 1 जुलाई को मढौली निवासी बसंती बसोर ने मोरवा थाने में तहरीर दी थी कि उसे जमीन विस्थापन के लिए बतौर मुआवजे के तौर पर 1 लाख 60 हज़ार खाते में दिया गया था। जिसे अज्ञात आरोपी द्वारा उसके खाते से निकाल लिया गया है।

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मामले को संज्ञान में लेते हुए सिंगरौली पुलिस अधीक्षक वीरेन्द्र सिंह के निर्देशन पर मोरवा पुलिस ने अपराध दर्ज कर मामले की विवेचना शुरू की गई। जिसके बाद अनुविभागीय अधिकारी राजीव पाठक के मार्गदर्शन व निरीक्षक मनीष त्रिपाठी की पुलिस टीम को पता चला कि ग्राम मढौली का देवी दयाल बसोर निवासी तियरा ग्राम मझौली थाना कोतवाली बैढ़न हाल मुकाम मढौली एक कियोस्क संचालक है। जो घर-घर जाकर आयुष्मान कार्ड बनाने का कार्य भी करता है। उसी ने महिला को धोखे में रखकर पैसे का ठग्गी की है।

भनक लगते ही फरार हो गया था आरोपी
पुलिस की जांच पड़ताल के बीच सूचना मिलते ही आरोपी संचालक क्षेत्र से फरार हो गया था। छानबीन में पता चला कि वह दिल्ली में बैठा है। जिसके बाद पुलिस टीम द्वारा कड़ी मशक्कत से उसे दिल्ली से लाकर पूछताछ की गई। जिसमें उसने खाते से पैसे निकालना कबूल किया। पुलिस की पूछताछ में यह बात भी सामने आई कि उसके द्वारा करीब दो दर्जन लोगों के डुप्लीकेट थम स्क्रीन बनाकर उनके खातों से भी पैसे निकाले गए हैं। वहीं बुजुर्ग महिला के पैसे से आरोपी ने नई पल्सर गाड़ी भी ले ली। जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया है। साथ ही लैपटॉप, कंप्यूटर समेत घटना में प्रयुक्त करीब दो लाख से ज्यादा का समान पुलिस ने बरामद किया है। पुलिस ने आरोपी के विरुद्ध अपराध क्रमांक 415/21 धारा 420, 467, 474, 475 आईपीसी का अपराध दर्ज किया है।

यूट्यूब से सीखा ठग्गी का तरीका
पुलिस के पूछताछ में आरोपी ने बताया कि उसने सोशल मीडिया के जरिए यूट्यूब चैनल देखकर यह ठग्गी का नया तरीका सिखा है। उसके द्वारा लोगों से आयुष्मान कार्ड बनवाने का बहाना बनाकर लोगों की नकली फिंगर स्किन तैयार की जाती थी। जिसके बाद उसके माध्यम से उनके खातों से पैसे का हरण कर लिया जाता था।

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Harpreet Kaur

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