ग्वालियर, अतुल सक्सेना। वरिष्ठ नेता एवं राज्य सभा सदस्य ज्योतिरादित्य सिंधिया के 50 वें जन्म दिन के मौके पर उनके समर्थकों ने ग्वालियर में कई कार्यक्रम आयोजित किये गए, 50 पौंड का केक काटा गया, 51 मंदिरों मे सुंदर कांड के पाठ हुए और 50 किलो मिठाई का वितरण किया गया। उधर सिंधिया के खास समर्थक ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का 51वां जन्म दिन भी उनके समर्थकों ने धूमधाम से मनाया। खीर बांटी गई, भंडारे हुए, और मरीजों को फल वितरित किये गए।
ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों ने आज 1 जनवरी को “महाराज” का 50 वां जन्म दिन ग्वालियर में धूमधाम से मनाया । इस मौके पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गए। मुदगल पायगा में एक सम्मान समारोह आयोजित किया गया जिसमें ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने अपने क्षेत्र में अच्छा काम करने वाली शख्सियतों को सम्मानित किया। वहीं शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के 51मंदिरों पर “महाराज” की दीर्घायु के लिए सुंदरकांड के पाठ आयोजित किये गए।शाम के समय महाराज बाड़े पर 50 किलो मिठाई का वितरण किया गया।
अपने जन्म दिन पर ऊर्जा मंत्री ने भंडारे में लाइन में लगकर लिया प्रसाद
ये भी सुखद संयोग है कि राजनैतिक जीवन में नेता जिसे अपना आदर्श मानता है उसका जन्म दिन भी साथ हो जाए। ऐसा ही कुछ ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रद्युम्न सिंह तोमर के साथ है। तोमर सिंधिया के खास समर्थक है। उनका भी जन्म दिन आज 1 जनवरी को ही होता है। जन्म दिन के मौके पर ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को दिनभर आम जन और भाजपा कार्यकर्ताओं ने उनको निवास पर जाकर बधाई दी । महाराज के जन्म दिन के कार्यक्रमों में शामिल होने के बाद ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर रानीपुरा भैरव मंदिर के सुंदरकाड में शामिल हुए।
ऊर्जा मंत्री समर्थकों ने उनके जन्म दिवस के अवसर पर चार शहर का नाका पर एक क्विंटल खीरका वितरण किया वहीं बिरला नगर में एक भंडारे का आयोजन किया गया। खास बात ये रही कि ऊर्जा मंत्री खुद भंडारे में पहुंचे और आयोजन में लाइन में लगकर प्रसाद ग्रहण किया। ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने रतनगढ़ माता के मंदिर पर पहुंचकर दर्शन किये और मन्दिर के पुजारियों को शॉल ,श्रीफल भेंट किये। इसके साथ – साथ ऊर्जा मंत्री श्री तोमर के समर्थकों ने राज्य बीमा कर्मचारी चिकित्सालय में जन्म दिन के उपलक्ष्य में मरीजों को फल वितरित किये।
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Gaurav Sharma
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इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।