जल्द शुरू होगा आयुर्वेद में Diploma Course, LKG-UKG तक के छात्र पढ़ेंगे संस्कृत, स्कूल शिक्षा मंत्री ने दिए निर्देश

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में अब जल्द शुरू होगा आयुर्वेद में डिप्लोमा कोर्स (Diploma course in ayurveda), जिसके लिए स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री (Minister of School Education) स्वतंत्र प्रभार एवं चेयरमैन महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान (Chairman Maharishi Patanjali Sanskrit Sansthan) इंदर सिंह परमार (Inder Singh Parmar) निर्देश दिए है। इसी संदर्भ में आज मंत्री इंदर सिंह परमार महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान (Maharishi Patanjali Sanskrit Sansthan) आए थे, जहां उन्होंने संस्थान के कार्यों और गतिविधियों की समीक्षा की। साथ ही कहा कि ‘अब कक्षा पहली से चौथी तक संस्कृत में पढ़ाई (Study in sanskrit) होगी, जिससे हर शहर में संस्कृत नगर बनेगा।

स्कूल शिक्षा मंत्री पहुंचे योग प्रशिक्षण केंद्र

संस्कृत विषय को लेकर स्कूल शिक्षा मंत्री परमार (School Education Minister Inder Singh Parmar) ने कहा कि आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश बनाने के लिए संस्कृत में रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम के साथ ही प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। महर्षि पतंजलि संस्कृत संस्थान के बाद स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार शासकीय योग प्रशिक्षण केंद्र पहुंचे, जो राज्य स्तरीय है।

योग प्रशिक्षण केंद्र का किया निरीक्षण

स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार (School Education Minister Inder Singh Parmar) ने योग प्रशिक्षण केंद्र (Yoga Training Center) षट्कर्म हाल, पुस्तकालय, ज्योतिष प्रयोगशालाओं का निरीक्षण कर विशेष निर्देश दिए। निरीक्षण और समीक्षा बैठक के दौरान मंत्री के साथ निदेशक प्रभातराज तिवारी, उपनिदेशक प्रशांत डोलस सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

अब LKG और UKG में छात्र पढ़ेंगे संस्कृत

इस दौरान स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने संस्कृत विषय पर विशेष रूचि दिखाते हुए कहा कि कक्षा पहली से लेकर कक्षा चौथी तक की कक्षाओं में संस्कृत पढ़ाया जाए। जिसके लिए मध्यप्रदेश के प्रत्येक जिला मुख्यालय में एक सरकारी स्कूल में LKG और UKG के छात्र-छात्राओं को संस्कृत भाषा (Sanskrit language) में पढ़ाया जाएगा। परमार ने कहा कि संस्कृत भाषा में पढ़ाई करने से बच्चों में संस्कृति और संस्कार के गुण बढ़ेंगे।

वहीं परमार ने कहा कि इससे पहले कक्षा पांचवी से बच्चों को संस्कृत का ज्ञान दिया जाता था, लेकिन अब संस्कृत को जन की भाषा बनाना जरूरी है, जिसके लिए कक्षा पहली से ही छात्रों को संस्कृत पढ़ाना, सिखाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि संस्कृत को जन-जन की भाषा में लाने के लिए इस दिशा में कार्य करना होगा।

संस्कृत बोलने वाला नगर

उन्होंने निर्देश में कहा कि भोपाल के पंचशील नगर को संस्कृत भाषा बोलने वाले नगर में शामिल करना होगा। साथ ही प्रदेश के अन्य सभी जिलों में एक संस्कृत भाषी नगर को विकसित किया जाएगा। परमार ने कहा कि ‘संस्कृत भाषा एक बहुत ही सरल और व्याकरण की दृष्टि से एक समृद्ध भाषा है। जिसका उपयोग पढ़ने-पढ़ाने और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की भाषा के तौर पर किया जाता है। जिसे लोग उपेक्षा कि नहीं बल्कि, अपेक्षा की भाषा बनाएं।’

उज्जैन वैद्यशाला को किया जाएगा विकसित

उज्जैन में वैद्यशाला स्थित है। जिसे लेकर मंत्री परमार ने कहा कि इसे विश्व स्तरीय संस्थान की तरह विकसित किया जाएगा, जिसके लिए उन्होंने आवश्यक दिशा निर्देश दिए है। इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया भारत के प्राचीन इतिहास, संस्कृति और विज्ञान से परिचित हो सके इसके लिए विकास की ओर कार्य किया जाएगा, जिससे अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को भी बढ़ाया जा सकेगा। साथ ही मंत्री परमार ने महाकालेश्वर वैदिक शोध संस्थान में शासकीय आदर्श संस्कृत विद्यालय उज्जैन को मिलाने का निर्देश दिया है।

शासकीय बालक आवासीय संस्कृत विद्यालय की होगी स्थापना

भोपाल में शासकीय कन्या आवासीय संस्कृत विद्यालय स्थापित है। जिसे लेकर मंत्री परमार ने कहा कि इसी के तर्ज पर शासकीय बालक आवासीय संस्कृत विद्यालय की भी स्थापना की जाएगी। जहां संस्थान के पांच आदर्श संस्कृत स्कूलों को आवासीय संस्कृत स्कूलों में बदला जाएगा।

प्रदेश में है कुल 28 संस्कृत स्कूल

इन संस्थानों में हायर सेकेंडरी स्कूल भी खोला जाएगा। बता दें कि प्रदेश में कुल 28 संस्कृत स्कूल है। जिन्हें भी भोपाल की शासकीय कन्या आवसीय संस्कृत विद्यालय की तर्ज पर विकसित किया जाएगा।

स्कूल शिक्षा मंत्री ने दिए ये निर्देश

  • जल्द ही संस्कृत भाषा में शेष 55 पाठ्य पुस्तकों का लेखन कार्य पूरा करें।
  •  एनसीईआरटी के अनुसार बाल मनोयोग को देखते हुए लेखन का कार्य संपन्न करें।
  •  संस्कृत भाषा में अच्छा कार्य करने वाले विद्यार्थियों और संस्थानों को पुरस्कृत और प्रोत्साहित करें।
  •  संस्कृत के मशहूर विद्वानों को इन संस्थानों से जोड़े, ताकि विद्यार्थी मार्गदर्शन ले सकें।
  •  संस्कृत भाषा में प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए योजना बनाए।
  •  साथ ही रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम प्रदान करें।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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