भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। UP की योगी सरकार (Yogi Government )के बाद मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार (Shivraj Government ) ने लव जिहाद (love jihad) के खिलाफ प्रस्तावित धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020 (Freedom of Religion Act 2020) को कैबिनेट बैठक में मंजूरी दे दी है।अब इसे राज्यपाल आनंदीबेन पटेल (Governor Anandiben Patel) के पास भेजा गया है, यहां से अनुमति मिलते ही यह अधिनियम मध्यप्रदेश में प्रभावी हो जाएगा।
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दरअसल, मध्यप्रदेश में 26 दिसंबर को कैबिनेट की बैठक (Cabinet meeting) हुई थी, जिसमें लव जिहाद के खिलाफ प्रस्तावित धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020 (Freedom of Religion Act 2020) विधेयक को मंजूरी नहीं मिल पाई थी। जिसके बाद इसे विधानसभा के शीतकालीन सत्र (MP Assembly Winter Session) में लागू करने की बात कही गई थी, लेकिन कोरोना महामारी के चलते विधानसभा का शीतकालीन सत्र (MP Assembly winter session postponed) स्थगित हो गया है। इसके बाद इसे अध्यादेश के जरिए कैबिनेट में मंजूरी दी गई है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा किहम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि नववर्ष 2021 का शुभारंभ नई उमंग, उत्साह, आशा और विश्वास के साथ हो।आज धर्म स्वातंत्र्य विधेयक समेत अन्य महत्वपूर्ण विधेयकों को अध्यादेश के ज़रिये कानून बनाया जाएगा।लोभ, लालच, भय, प्रलोभन देकर या कुत्सित इरादों से विवाह करना अथवा धर्मांतरण करवाना संज्ञेय अपराध है। अधिनियम विरुद्ध सामूहिक धर्म परिवर्तन किये जाने पर 5 से 10 वर्ष का कारावास और एक लाख रुपये तक का अर्थदण्ड की सजा होगी।
UP में भी राज्यपाल आनंदी बेन ने दी थी मंजूरी
जानकारी के अनुसार, लव जिहाद के खिलाफ प्रस्तावित धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020 अध्यादेश को उत्तरप्रदेश में लागू किया गया है। जिसपर राज्यपाल आनंदी बेन पटेल (Governor Anandi Ben Patel) ने ही मुहर लगाई थी। बता दें कि उत्तरप्रदेश में विधानसभा सत्र नहीं होने के चलते इस कानून को अध्यादेश (Ordinance to law) के जरिए लाया गया। वहीं मध्यप्रदेश में विधासनभा का शीतकालीन सत्र (Legislative Assembly Winter Session) कोरोना वायरस के चलते स्थगित हो जाने के कारण इसे कैबिनेट की बैठक (Cabinet meeting) में अध्यादेश के माध्यम से लाने का निर्णय लिया गया है।
ऐसे रहेंगे कानून के नियम
- बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबर्दस्ती धर्मांतरण और शादी करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान होगा। यह अपराध गैर जमानती होगा।
- धर्मांतरण और धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह के 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन देना होगा।
- बगैर आवेदन दिए धर्मांतरण करवाने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान है।
- धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत पीड़ित, माता- पिता, परिजन या गार्जियन द्वारा की जा सकती है।
- सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा। उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी।
- जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा।
- इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले सभी आरोपियों के विरुद्ध मुख्य आरोपी की तरह ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
- इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन भी रद्द होगा।
- अपने धर्म में वापसी करने पर इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा।
- आरोपी को ही निर्दोष होने के सबूत प्रस्तुत करना होगा।
- पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण का हक हासिल करने का प्रावधान किया गया है।