टीकमगढ़।आमिर खान।
इन दिनों टीकमगढ़ पुलिस अपराधों पर कम बल्कि रेत के वाहनों को पकड़ने में अपना ज्यादा समय दे रही है। टीकमगढ़ में कई दिनों से देखा जा रहा है कि पुलिस कप्तान के कुछ अधीनस्थ रात्रि गस्त के नाम पर सिर्फ रेत वाहनों को रोककर उन्हें थानों में खड़ा करा देते हैं, लेकिन इन वाहनों के कागजात नहीं देखे जाते और सीधा आरोप लगाया जाता है कि पिटपास नहीं है और वाहन ओवरलोड है।
मामला रविवार-सोमवार की दरम्यानी रात का है, ट्रेनिंग के रूप में टीकमगढ़ में पदस्थ डीएसपी योगेन्द्र सिंह ने शहर के अम्बेडकर तिराहे के पास 10 रेत के वाहन रोके और उनके कागजात जब्त कर उन्हें सीधा खड़ा करा दिया। जबकि वाहन मालिकों का कहना है कि इन वाहनों के सारे कागजात उनके पास हैं। इसके बाद भी इनके वाहन खड़े करा दिए। मामला सोमवार दिनभर चर्चा का विषय बना रहा। फिलहाल इस मामले के खनिज को जानकारी दी गई तो खनिज विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर वाहनों के कागजात और उसमें भरी रेत का माप किया, जिसमें खनिज विभाग ने इन्हें सही पाया और फिर कही सोमवार की रात्रि इनमें से 09 वाहनों को छोड़ना पड़ा। मामले को लेकर कई बड़े रेत व्यापारियों ने इसकी जानकारी पुलिस कप्तान टीकमगढ़ अनुराग सुजानिया को भी दी थी, जिस पर उन्होंने भी नाराजगी जाहिर की।
एसपी के जिले से बाहर जाते ही होते हैं ऐसे कारनामे
टीकमगढ़ पुलिस कप्तान जब किसी काम से जिले से अन्य जिले में जाएं या फिर छुट्टी पर जाएं इसका फायदा उनके अधीनस्थ बखूबी उठाते हैं और ऐसे कारनामों को अंजाम देते हैं। इससे पहले भी खिरिया से गायब एक वाहन के मामले में पुलिस कटघरे में खड़ी हो चुकी है, लेकिन फिर भी सबक सीखने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे मामले में एसपी ने भी सख्त हैं और उन्होंने यह माना है कि रेत लोगों के जरूरत का एक अहम पहलू है और सीधी बात यह है कि गलत पर कार्यवाही करने से मना नहीं, लेकिन लोगों को बेवजह परेशान न किया जाना चाहिए।
पुलिस का काम रेत पकड़ना नहीं है, बल्कि अपराधों पर अंकुश लगाना इसके साथ कानून व्यवस्था बनाए रखना है, मैंने तो साफ मना किया है कि रेत पकड़ने का काम खनिज का है, पुलिस को इससे ज्यादा ध्यान अपराध निकाल पर देना चाहिए।
सतीष सक्सेना, आईजी, सागर संभाग