Panchkroshi Yatra Ujjain: एक दिन पहले ही नागचंद्रेश्वर के दरबार में उमड़ा आस्था का सैलाब, पिंगलेश्वर पहुंचे श्रद्धालु

Diksha Bhanupriy
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Panchkroshi Yatra Ujjain

Panchkroshi Yatra Ujjain news: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन एक धार्मिक शहर है, जहां हर थोड़े दिन में कोई ना कोई त्यौहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनता हुआ दिखाई देता है। यहां कई सारे पौराणिक और ऐतिहासिक मंदिर मौजूद है जिन से कई सारी मान्यताएं जुड़ी हुई है। संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं और धर्म लाभ लेते हैं।

हर साल वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि से उज्जैन में स्थित नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर से पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत होती है। देशभर से श्रद्धालु 5 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा में वैशाख की तपती दोपहरी में बम बम भोले नाथ का जयघोष करते हुए भाग लेते दिखाई देते हैं। इस बार ये यात्रा 15 अप्रैल से शुरू होने वाली है।

यात्रा में देश भर से श्रद्धालु भाग लेने के लिए पहुंचते हैं और एक बार फिर हर साल की तरह यात्रा शुरू होने से 1 दिन पूर्व ही श्रद्धालुओं का जत्था अपनी यात्रा शुरू कर चुका है। बड़ी संख्या में ग्रामीण उज्जैन के नाग नाथ मंदिर में पहुंचकर बाबा भोलेनाथ का आशीर्वाद लेकर पहले पड़ाव पिंगलेश्वर तक पहुंच चुके हैं। आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए प्रशासन की ओर से पहले ही सारी व्यवस्थाएं कर दी गई है। महापौर मुकेश टटवाल ने पिंगलेश्वर पड़ाव पर पहुंचे श्रद्धालुओं का अभिवादन भी किया है।

Panchkroshi Yatra in Ujjain

ऐसी होगी Panchkroshi Yatra Ujjain

पंचक्रोशी यात्रा में नागचंद्रेश्वर महादेव से श्रद्धालु अपनी यात्रा की शुरुआत करते हैं। यहां पर भगवान से आज्ञा और बाल लेकर ताकि 118 किलोमीटर की लंबी यात्रा आराम से पैदल तय होने का आशीर्वाद लिया जाता है। इसके बाद नगर के चार द्वार पर स्थित चार द्वारपालों का दर्शन पूजन किया जाता है।

Panchkroshi Yatra Ujjain

पंचक्रोशी पर विशेष मुहूर्त

इस बार पंचक्रोशी यात्रा के दौरान पांच अलग-अलग नक्षत्र विद्यमान रहने वाले हैं, जो इस यात्रा के साक्षी बनेंगे। धर्म यात्रा का लाभ लेने वाले भक्तों को अपने जीवन में आने वाले 100 प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है और उनका जीवन धन्य होता है। 15 अप्रैल से शुरू होने वाली यात्रा 20 अप्रैल अमावस्या के दिन खत्म होगी।

किसी भी धार्मिक यात्रा और अनुष्ठान में शुभ फल की प्राप्ति करने के लिए नक्षत्रों का शुभ योग होना बहुत जरूरी माना जाता है। इस बार पंचक्रोशी के दौरान पंचांग तिथि, योग, नक्षत्र, वार और कर्ण का विशेष संयोग बन रहा है। यही वजह है कि इस बार 5 नक्षत्रों के सहयोग में इस यात्रा को करना बहुत फलदायी होने वाला है।

कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र में यात्रा शुरू होने वाली है जो 5 गुना फल देगी। वहीं इसका समापन अमावस्या के दिन हो रहा है और शास्त्री मान्यताओं के मुताबिक गुरुवार के दिन पड़ने वाली अमावस अच्छा फल देने वाली होती है, इसे उत्तम दृष्टि के रूप में भी देखा जाता है।

नागचंद्रेश्वर से मिलता है बल

पटनी बाजार में स्थित श्री नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर से इस यात्रा की शुरुआत होती है। यहां आने वाले श्रद्धालु भगवान के दर्शन कर उन्हें भेंट के रूप में नारियल चढ़ाकर बल मांगते हैं, ताकि वो यात्रा को पैदल घोड़े की तरह दौड़ कर तय कर सकें। वहीं जब यात्रा समाप्ति पर वह पुनः इस मंदिर में पहुंचते हैं तो मिट्टी के घोड़े चढ़कर भगवान को बल वापस लौटाया जाता है।

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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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