विक्रम यूनिवर्सिटी से गायब हुए शासकीय दस्तावेज, 9 दिन बाद भी दर्ज नहीं हुई FIR

Diksha Bhanupriy
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Ujjain News: विक्रम विश्वविद्यालय (Vikram University) से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। यहां पर पीएचडी की परीक्षा में हुई गड़बड़ी की जांच करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया था। जांच पूरी करने के बाद कमेटी ने बयान के जो दस्तावेज तैयार किए थे उसकी फाइल यहां से गायब हो गई है। चौंका देने वाली बात यह है कि फाइल 9 दिन से गायब है, लेकिन विश्वविद्यालय का प्रशासन बस फुटेज देखकर जांच कमेटी गठित करने की बात कर रहा है। इस मामले में अब तक एफआईआर भी दर्ज नहीं करवाई गई है।

जून 2022 में विक्रम विश्वविद्यालय की पीएचडी परीक्षा आयोजित की गई थी। इस परीक्षा में अपात्रों का चयन करने की शिकायत सबूतों के साथ की गई थी। शिकायत के बाद जांच के लिए विश्वविद्यालय में 3 सदस्यों की कमेटी बनाई थी। कई बैठक और जांच-पड़ताल के बाद इस मामले से जुड़े लोगों के बयान दर्ज किए गए थे। बयान की यह फाइल विश्वविद्यालय के पास मौजूद थी, लेकिन अचानक यह जानकारी सामने आई कि एक व्यक्ति के दिए गए बयान के दस्तावेज गायब है। शासकीय दस्तावेज के इस तरह से अचानक गायब हो जाने से हड़कंप मच गया और कुलसचिव ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा।

9 दिन बीत जाने के बाद भी ना दस्तावेज हाथ लगे हैं और ना ही इस मामले में एफआईआर दर्ज करवाई गई है। यह भी कहा जा रहा है कि जांच समिति के सदस्यों ने भी इस घटना के बाद खुद को समिति से अलग करने की बात कही है। अगर ऐसा हो जाता है तो फिर इस मामले की न्यायिक जांच करवाई जा सकती है। घटना के 9 दिन बाद जांच समिति के एक सदस्य, कुलसचिव और विभाग के अधिकारियों ने सीसीटीवी फुटेज देखा है। मामले में अधिकारियों का कहना है कि दस्तावेज गायब होने के फुटेज देखे जा रहे हैं जानकारी लगते ही सभी को अवगत करवाया जाएगा।

इस मामले में विभाग के सहायक कुल सचिव रमेश सूर्यवंशी का कहना है कि 21 नवंबर को जांच समिति की बैठक की गई थी। इस दौरान विष्णु सक्सेना ने बयान का अवलोकन करने के लिए फाइल मांगी थी। समिति के समक्ष ही यह फाइल सक्सेना को दी गई थी लेकिन बाद में फाइल से बयान गायब मिले। मामले की जानकारी कुलसचिव को दी गई जिसके बाद विष्णु सक्सेना को नोटिस भेजा गया था। वहीं यह कहा जा रहा है कि पीएचडी प्रवेश परीक्षा में जो फर्जीवाड़ा किया गया है उसकी जांच अंतिम दौर में चल रही है और जांच को रोकने के लिए ही दस्तावेज गायब किए गए हैं। जांच के दस्तावेज गायब होने के बाद अब विश्वविद्यालय इन दस्तावेजों को ढूंढने के लिए एक और जांच समिति बनाने की बात कर रहा है।


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"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

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