उज्जैन, योगेश कुल्मी। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में (Supreme Court) महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) को लेकर अहम सुनवाई हुई। ये मामला शिवलिंग के क्षरण से जुड़ा हुआ है। जस्टिस अरुण मिश्रा ने सुनवाई के दौरान मंदिर प्रबंध समिति को निर्देश दिया कि महाकालेश्वर मंदिर में शिवलिंग का संरक्षण किया जाना सुनिश्चित करें। ये निर्देश एक याचिका पर सुनाया गया जिसमें शिवलिंग के क्षरण को लेकर ये मांग की गई है कि गर्भगृह में भक्तों का प्रवेश रोका जाए।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के संरक्षण को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अहम दिशा निर्देश जारी किए हैं जिसके अंतर्गत कहा गया है कि शिवलिंग पर कोई रगड़ नहीं किया जाना चाहिए। किसी भी भक्त को शिवलिंग को रगड़ने की अनुमति नहीं होगी। दही, घी और शहद का घिसना भी बंद कर देना चाहिए और शिवलिंर पर केवल शुद्ध दूध ही डालना चाहिए। यदि पुजारी या पुरोहित द्वारा कोई उल्लंघन करता हुआ पाया जाता है, तो मंदिर समिति उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी। मंदिर समिति अपने संसाधनों और शुद्ध पानी से शुद्ध दूध उपलब्ध कराएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि रुड़की की सम्बंधित विभाग 6 महीने के भीतर डिटेल रिपोर्ट दखिल करेगी। आपको बता दें कि बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता सारिका गुरु की याचिका पर ज्योतिर्लिंग क्षरण का मामला अप्रैल 2017 से चल रहा है।
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के क्षरण को लेकर हुई सुनवाई में जस्टिस अरुण मिश्रा ने फैसला सुनाने के बाद कहा कि शिव की कृपा से यह भी फैसला हो गया। उन्होने ऐसा इसलिये कहा क्योंकि ये जस्टिस अरुण मिश्रा द्वारा सुनाया गया अंतिम निर्णय था। बुधवार को उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है और वे रिटायर हो रहे हैं।