Ujjain : पतंगों से सजा बाबा महाकाल का दरबार, शिप्रा घाट पर दिखा कोरोना का खौफ

Gaurav Sharma
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उज्जैन, डेस्क रिपोर्ट। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) भारत देश का प्रमुख त्योहार है, इसे पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार पौष मास में जब सूर्य (Sun) मकर राशि (Capricorn) में प्रवेश करता है, तब इस पर्व को मनाया जाता है। इसी पावन पर्व मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के अवसर पर उज्जैन (Ujjain) की मोक्षदायिनी क्षिप्रा नदी (Mokshadayini Shipra River) में श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के अवसर पर सभी पतंगबाजी (Kite flying) का आनंद लेते हैं। इसी के चलते बाबा महाकाल (Baba Mahakal) के दरबार को भी पतंगों से सजाया गया, लेकिन कोरोनावायरस (Coronavirus) और बढ़ती ठंड के चलते श्रद्धालुओं की कमी देखी गई।

श्रद्धालुओं ने शिप्रा नदी में लगाई आस्था की डुबकी

हर साल 14 जनवरी को मकर संक्रांति का पर्व (Festival of Makar Sankranti) मनाया जाता है। इस अवसर पर उज्जैन (Ujjain) की मोक्षदायिनी शिप्रा नदी (Mokshadayini Shipra River) में श्रद्धालुओं ने स्नान कर आस्था की डुबकी (astha ki dubaki) लगाई। इसके बाद उन्होंने दान पुण्य किया, लेकिन बढ़ती ठंड और कोरोनावायरस के चलते श्रद्धालुओं (Devotees) की कमी देखी गई। हर साल मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर श्रद्धालुओं द्वारा घाट पर स्नान किया जाता है। जिसे ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने पहले से ही सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए है।

रंग-बिरंगी पतंगों से सजाया गया महाकाल का दरबार

विश्व प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों (12 Jyotirlingas) में से एक उज्जैन (Ujjain) के बाबा महाकालेश्वर (Baba Mahakaleshwar) के दरबार को मकर संक्रांति के अवसर पर रंग-बिरंगी पतंगों (Colorful kites) से सजाया गया है। जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। सुबह से ही श्रद्धालुओं द्वारा दर्शन लाभ के लिए बाबा महाकाल (Baba Mahakal) के दरबार में आना लगा हुआ है।

दान करने से होती है अक्षय पुण्य की प्राप्ति

सूर्य के दक्षिणायन (Dakshinayan) से उत्तरायण (Uttarayan) की ओर जाने पर मकर संक्रांति का पर्व (Festival of Makar Sankranti) मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि आज के दिन दान करने से अक्षय पुण्य (Unwavering virtue) मिलता है। इस अवसर पर उज्जैन (Ujjain) के बाबा महाकाल (Baba Mahakal) के दरबार को काफी सुंदर पतंगों द्वारा सुसज्जित किया। सुबह से ही भस्म आरती (Bhasma Aarti) के बाद बाबा महाकाल के दरबार में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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