Simhastha 2028: 12 साल बाद उज्जैन में सिंहस्थ का होगा आयोजन, ड्रोन से रखी जाएगी नजर, IT और AI पर होगा बेस्ड

महाकाल नगरी में आयोजित होने वाले सिंहस्थ में सुरक्षा की निगरानी ड्रोन के जरिए किया जाएगा। सिंहस्थ के समय चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए ड्रोन का उपयोग होगा।

Shashank Baranwal
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Ujjain

Simhastha 2028: मध्य प्रदेश के उज्जैन में 12 सालों बाद 2028 में सिंहस्थ का आयोजन होने वाला है। वहीं इस बार का सिंहस्थ कई मायनों में खास होने वाला है, क्योंकि इसे पूरी तरह से इंफॉर्मेशन टेक्नॉलाजी (IT) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर आधारित किया जा रहा है। इसके लिए प्रदेश सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी है।

IT परियोजना प्रबंध इकाई का होगा गठन

सिंहस्थ 2028 में यातायात, सुरक्षा, जरूरी कार्य, जन सुविधाएं और साफ-सफाई जैसे कार्यों को करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित होगा। इसके लिए तैयारियां शुरू हो गई है। नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा इस कार्य के लिए आईटी परियोजना प्रबंध इकाई का गठन किया जाएगा।

ड्रोन से होगी निगरानी

महाकाल नगरी में आयोजित होने वाले सिंहस्थ में सुरक्षा की निगरानी ड्रोन के जरिए किया जाएगा। सिंहस्थ के समय चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए ड्रोन का उपयोग होगा। वहीं, प्रदेश के आला-अधिकारियों की भी तैनाती रहेगी।

अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट का किया जा रहा निर्माण

उज्जैन में सिंहस्थ का आयोजन को खास बनाने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के कारण अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट का निर्माण किया जा रहा है। वहीं, सिंहस्थ से एयरपोर्ट की शुरूआत होने की तैयारी है। इसके अलावा, महाकाल नगरी उज्जैन को सिंहस्थ से पहले अत्याधुनिक सुविधाओं से विकसित भी किया जाएगा।

14 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद

सिंहस्थ के लिए सरकार के अलग-अलग विभागों में 523 कार्यों के लिए 18,840 करोड़ रुपए प्रस्तावित किए गए हैं। एक सरकारी प्रेस रिलीज के मुताबिक, सिंहस्थ का आयोजन 27 मार्च से शुरू होकर 27 मई 2028 तक चलेगा। इस दौरान 14 करोड़ श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद भी जताई जा रही है।


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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