अर्पण कुमार। उज्जैन।
शहर को आवारा मवेशियों से निजात नही मिल पा रही है। बीच बाज़ार जमघट के रूप में खड़े यह आवारा मवेशी जहां आमजन के लिए ख़तरा बन रहे है वहीं ट्रैफिक को भी प्रभावित करते है। यह हालत तब है जब निगम व स्मार्ट सिटी अधिकारी शहर को स्मार्ट बनाने का दावा करते नही थकते । कहने को तो शहर व जिले में कई गौशालाए खोली गई थी और दावा किया जा रहा था कि इन गौशालाओ के बनने के बाद शहर में आवारा मवेशी नही दिखेंगे पर वस्तुस्थिति कुछ और ही है । शहर के अधिकारी अभियान तो चलाते है पर कुछ दिनों के भीतर की यह अभियान दम तोड़ देता है । आमजन की माने तो शहर के नेताओ व अधिकारियों में इच्छा शक्ति की कमी है जिसके चलते शहर में मूलभूत व सकारात्मक बदलाव नही आ पा रहे है।
शहर का कोई भी चौराहा, गली, कालोनी ऐसी नही है जहां आवारा मवेशी विचरण करते नही देखे जा सकते पर अधिकारी व जनप्रतिनिधि है कि इस गंभीर विषय पर चुप्पी साधे हुए है ।ज्ञात रहे कि निगम द्वारा पूर्व में भी कई अभियान आवारा पशुओं से मुक्त कराने हेतु चलाये गए पर राजनैतिक प्रभाव के चलते या इच्छा शक्ति की कमी के कारण अभियान बार बार बंद हो जाते है । विदित रहे कि पूर्व में आवारा मवेशियों के कारण कई गंभीर एक्सीडेंट भी हो चुके है ।
प्रमुख चौराहे जहां रहता है मवेशियों के जमावड़ा
यूँ तो पूरे शहर में आवारा मवेशियों फैले है पर कई व्यस्ततम चौराहे ऐसे है जहां आमतौर पर भी आप इनको देख सकते है जैसे छत्रीचौक, निकास चौराहा, कंठाल, महाकाल मंदिर चौराहा, दौलतगंज, फ्रीगंज, आगर रोड, मंडी चौराहा। हालात तो यह है कि निगम परिसर में भी आमतौर पर आवारा मवेशियों के जमावड़ा देखा जा सकता है।
आम नागरिकों का मानना है कि सरकार किसी भी पार्टी की रही हो पर उज्जैन शहर को आवारा मवेशियों से मुक्ति आज तक नही मिली है ।