उज्जैन, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना (Covid-19) की दूसरी लहर काल बनकर आई है। महज 40 प्रतिशत तक लंग्स इंफेक्शन (Lungs Infection) होने वाले मरीज की भी मौत हो रही है। डॉक्टरों का कहना है कि इसमें से वो मरीज ज्यादा है, जो जल्द ही कोरोना से हार मान लेते है, लेकिन कोरोना से लड़ाई का जज्बा और परिवार वालों का स्पोर्ट मिल जाए, तो 95 प्रतिशत इंफेक्शन वाला मरीज भी कोरोना को मात दे सकता है। जिला सहकारी बैंक की रिटायर्ड मैनेजर उषा निगम के परिवावालों को डॉक्टरों ने साफ तौर पर कह दिया था कि अब उनका बचना मुश्किल है, लेकिन परिवार और मरीज ने अंत तक हिम्मत नहीं हारी। अब 50 दिन से अधिक समय से आईसीयू में रहने और करीब 80 दिन तक लगातर ऑक्सीजन पर रहने के बाद भी आज उषा निगम स्वस्थ होकर वापस अपने घर लौट चुकी है।
यह भी पढ़ें:-मप्र के ‘ड्राइव इन सिनेमा’ में भी होगा टीकाकरण, कार में बैठे-बैठे लगवा सकेंगे वैक्सीन
इस तरह दी कोरोना को मात
जिला सहकारी बैंक की रिटायर्ड मैनेजर उषा निगम 62 साल की है, जो अपनी बहन की मौत के बाद देवास चली गई थी। तीन दिन बाद जब वह घर लौटी, तो उनकी तबीयत बिगड़ने लगी। यह देखकर उनके दोनों बेटों ने माधव नगर अस्पताल में उनका आरटी-पीसीआर टेस्ट करवाया, जहां 20 अक्टूबर को उषा निगम की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद 20 तारीख को ही उन्हें माधव नगर अस्पताल के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया, जहां 22 अक्टूबर को पहला सिटी स्कैन कराया गया, तो रिपोर्ट में लंग्स में इंफेक्शन जीरो आया, लेकिन दो दिन बाद ही यानी 24 तारीख को उनकी हालत बिगड़ने लगी, जिसके बाद उन्हें माधव नगर अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया। डॉक्टर ने रेमडेसिविर के छह इंजेक्शन लगाए, लेकिन सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ। इसके बाद उषा निगम को 29 अक्टूबर को इंदौर के अरविंदो अस्पताल रेफर किया गया। 30 अक्टूबर को फिर से सिटी स्कैन कराया गया, तो मात्र 8 दिन में लंग्स का इंफेक्शन बढ़कर 65 प्रतिशत हो गया। उनकी हालत लगातार खराब होने लगी, लेकिन फिर भी बेटे पीपीई किट पहनकर अस्पताल में उनसे मिलने गए, रोजाना खाने-पीने की व्यवस्था की।
इसके बाद फिर उषा निगम को रेमडेसिविर के पांच इंजेक्शन का डोज लगाया गया, लेकिन इसके बावजूद भी डॉक्टरों ने कहा कि मरीज का बचना मुश्किल है। इस बीच दो बार कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके बाद आखिरकार 12 नवम्बर को उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई, लेकिन सांस लेने में दिक्कत बरकार थी। 14 तारीख को सामान्य आईसीयू में शिफ्ट किया गया। इस दौरान परिवार का पूरा सपोर्ट रहा। 26 नंवबर को फिर सिटी स्कैन किया गया, तो पता चला कि लंग्स में इंफेक्शन बढ़कर 95 प्रतिशत हो गया है। डॉक्टर एचपि सोनानिया और इंदौर के डॉक्टर रवि डोसी ने मरीज को बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए। इधर परिवारवालों के सपोर्ट और उषा के आत्मविश्वास ने उन्हें कोरोना संक्रमण से ठीक करा दिया।