मध्य प्रदेश सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के बड़े बड़े दावे करती है, इसके लिए बड़ा बजट भी मंजूर करती है लेकिन क्या गरीबों को इलाज मिल पाता है इसकी हकीकत उमरिया के बिलासपुर तहसील में बना उप स्वास्थ्य केंद्र बयां कर रहा है , ये अस्पताल केवल एक एएनएम के भरोसे चल रहा है, वही डॉक्टर की तरह सबका इलाज करती है और कोई बड़ी समस्या होती है तो मरीज को उमरिया जिला अस्पताल रेफर कर देती है।
उमरिया जिले के बिलासपुर तहसील में संचालित उप स्वास्थ्य केंद्र खुद बीमार है, यहाँ पदस्थ डॉक्टर ने उप स्वास्थ्य केंद्र में कई महीनों से कदम नहीं रखा, केवल एक एएनएम मरीजों का इलाज करती है, उसे तो ये तक नहीं पता कि यहाँ कौन डॉक्टर पदस्थ है, खास बात ये है जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ये सब जानते हैं फिर भी कुछ नहीं करते,उलटे अपनी दलीलें देते हैं।
उमरिया जिले के करकेली जनपद अंतर्गत बिलासपुर में संचालित उप स्वास्थ्य केंद्र खुद बीमार हालत है। यहाँ पर पदस्थ डॉक्टर कई महीनों से लापता है, जिससे ग्रामीणों को उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। हालात इतने खराब हैं कि पूरा उप स्वास्थ्य केंद्र महज एक एएनएम (सहायक नर्स दाई) के भरोसे चल रहा है। उप स्वास्थ्य केंद्र में एक बोर्ड भी लगा है जिसमे ओपीडी की टाइमिंग भी लिखी है लेकिन यहाँ पर डॉक्टर का ओपीडी में बैठना तो दूर लगता है कई वर्षों से किसी ने यहाँ निरीक्षण तक नहीं किया है।
डॉक्टर की कमी का रोना रो रहे CMHO
मीडिया ने जब सीएमएचओ डॉ विश्व मंगल सिंह चंदेल से इस बदहाली का कारण पूछा तो वे जिले में डॉक्टरों की कमी की दुहाई देने लगे, उन्होंने स्वीकार किया कि उप स्वास्थ्य केंद्र में एक एएनएम है वो प्राथमिक उपचार करती है और कोई गंभीर मरीज आता है तो उसे उमरिया भेज देती है।
ये कहना है परेशान ग्रामीणों का
उप स्वास्थ्य केंद्र की बदहाली से ग्रामीण परेशान हैं उनका कहना है कि न तो यहां नियमित जांच होती है, न ही समय पर दवाएं उपलब्ध हैं। गर्भवती महिलाओं और गंभीर रोगियों को प्राथमिक इलाज के लिए भी दूर-दराज के अस्पतालों का रुख करना पड़ता है।
ANM ही करती है डॉक्टर की तरह मरीजों का इलाज
हैरानी की बात तो यह है कि जब ANM से सवाल किया गया कि यहां किस डॉक्टर की पदस्थापना है, तो वह खुद अंजान निकली। लेकिन उसने इस बात को बड़ी ही मुखरता से स्वीकार किया कि मरीजों का इलाज वो ही करती है दवाई लिखती है उन्हें भर्ती करती है और जरूरत पड़ने पर उमरिया रेफर करती है। उसका कहना है कि यदि मैं इलाज नहीं करूँ तो ग्रामीण कहाँ जायेगा उसे कौन देखेगा।
कलेक्टर ने कहा जाँच कराएँगे
उधर जब कलेक्टर धरणेन्द्र कुमार जैन को मीडिया ने ये बात बताई तो वे चौंक गए उन्होंने कहा कि वे इसकी जाँच कराएँगे और निर्देश देंगे कि जिस डॉक्टर की ड्यूटी है वो नियमित उप स्वास्थ्य केंद्र पर जाए, बहरहाल समझा जा सकता है कि जब एक एएनएम डॉक्टर की तरह इलाज करेगी तो क्या मरीज को उचित इलाज मिल सकता है।
उमरिया से ब्रजेश श्रीवास्तव की रिपोर्ट





