1 जुलाई से बंद हो जाएंगे प्रदेश के टाइगर रिजर्व, नहीं कर सकेंगे बाघ के दीदार, जानें कब होंगे ओपन

बारिश के कारण सैलानियों की परेशानी को देखते हुए इसके अलावा ये कई वन्य जीवों प्रजनन के समय को ध्यान में रखते हुए 1 जुलाई से 1 अक्टूबर तक नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व बंद रहते हैं।

बारिश का मौसम है और बहुत से लोग ऐसे में घूमने का प्लान बनाते हैं, फैमिली पिकनिक के लिए निकलते हैं लेकिन यदि आपका ऐसा कोई प्लान है और प्रदेश के किसी टाइगर रिजर्व या फिर नेशनल पार्क में घूमने जाने वाले हैं तो ये खबर आपके लिए जरूरी है, क्योंकि आपके पास केवल आज ही का दिन है जब आप टाइगर को देख सकते हैं या फिर नेशनल पार्क में अन्य खूबसूरत वन्य जीवों को देख सकते हैं क्योंकि ये 1 जुलाई से तीन महीने के लिए बंद हो जायेंगे, फिर ये 1 अक्टूबर को खोले जायेंगे।

दरअसल वन विभाग बारिश के मौसम में नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व को तीन महीने के लिए बंद करने का फैसला हर साल लेता है, सभी अभ्यारण्य 1 जुलाई से सैलानियों के लिए बंद कर दिए जाते हैं, इस दौरान पर्यटक केवल बफर जोन में ही घूम सकते है उनके लिए कोर जोन बंद कर दिए जाते हैं, इसी क्रम में उमरिया का बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व भी बंद रहेगा।

इसलिए लिया जाता है बंद करने का फैसला 

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बाघ या अन्य वन्य प्राणियों के दर्शन और जंगल का भ्रमण हर वर्ष 3 माह के लिए 30 जून के बाद 1 जुलाई से बंद कर दिया जाता है। इसकी वजह यह है कि इस दौरान बारिश का सीजन रहता है जिससे जंगल के अंदर कच्चे रास्ते में जाने आने में परेशानी होती है। इस दौरान किसी भी सैलानी को जंगल के अंदर कोई परेशानी हुई तो वह एक गंभीर समस्या बन सकती है। इसके अलावा वन्य प्राणी एक्सपर्ट बताते हैं कि बारिश के सीजन में बाघ सहित अन्य वन्य प्राणियों का प्रजनन का समय रहता है। इसलिए उनके इस समय पर कोई व्यवधान उत्पन्न ना हो इसलिए पर्यटन बंद कर दिया जाता है।

बाघ को देखना यहाँ बहुत सहज है 

विश्व प्रसिद्ध बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व जहां दुनिया भर में बाघ दर्शन के लिए प्रसिद्ध है। वहीं यहां का जंगल, किले और अन्य ऐतिहासिक चीजे भी प्रसिद्ध है, यही वजह है कि बांधवगढ़ में विदेशी सैलानियों की संख्या में लगातार हर वर्ष इजाफा हो रहा है। सैलानियों की बढ़ती संख्या देख यह कहा जा सकता है कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व अब सैलानियों की पहली पसंद बन गया है। विदेशी सैलानियों के अलावा देसी सैलानी भी देश के कोने-कोने से बांधवगढ़ पहुंच रहे हैं।

सैलानियों के आकर्षण का केंद्र है बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व 

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व हमेशा से विदेशी सैलानियों के आकर्षण का केंद्र रहा है। वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक बांधवगढ़ देश में बाघों के घनत्व में तीसरे स्थान पर है यही कारण है कि यहां पर्यटकों को आसानी से बाघ दर्शन का अवसर मिल जाता है। बताया गया कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के प्रत्येक जोन में 2 से 3 मादा बाघिन और उसके शावक मौजूद हैं। वर्तमान समय में पर्यटकों के लिए यही मादा बाघिन और उसके शावक आकर्षक बने हुए हैं। गर्मी के सीजन में पानी के स्रोतों की कमी के कारण बाघों के दर्शन आसान हो जाते हैं। भारी गर्मी के कारण बाघ पानी के आसपास मौजूद रहते हैं।

इस साल 32 हजार से ज्यादा विदेशी सैलानियों पहुंचे बांधवगढ़

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर पीके वर्मा ने बताया कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में साल 2024-25 के टूरिज्म सीजन में नया रिकॉर्ड बना है। इस साल 32 हजार से ज्यादा विदेशी सैलानियों ने बांधवगढ़ का दौरा किया। यह आंकड़ा प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व में से सबसे अधिक है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भी इसे सोशल मीडिया पर शेयर किया है। डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि साल 2022-23 में 21 हजार विदेशी सैलानी यहां पहुंचे थे, वहीं साल 2023-24 में यह आंकड़ा 25000 के आसपास था। लेकिन 2024-25 में अब तक पर्यटक 32528 विदेशी पर्यटक आ चुके हैं। आगे आने वाले समय में यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है।

ये हैं एमपी के टाइगर रिजर्व/नेशनल पार्क 

  • कान्हा टाइगर रिजर्व, मंडला और बालाघाट
  • पेंच टाइगर रिजर्व, सिवनी
  • बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व, उमरिया
  • सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, नर्मदापुरम
  • पन्ना टाइगर रिजर्व, पन्ना
  • संजय-दुबरी टाइगर रिजर्व सीधी
  • वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व, दमोह और सागर
  • रातापानी टाइगर रिजर्व, रायसेन और सीहोर
  • माधव टाइगर रिजर्व ग्वालियर में शिवपुरी

उमरिया से ब्रजेश श्रीवास्तव की रिपोर्ट 


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Atul Saxena

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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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