विदिशा, डेस्क रिपोर्ट। विदिशा जिले की शमशाबाद तहसील के संग्रामपुर गांव के सहरिया जाति के एक किसान को प्रधानमंत्री सम्मान निधि के लिए दूसरी बार सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत करना महंगा पड़ गया। किसान का आरोप है कि शमशाबाद एसडीएम ने उन पर शिकायत वापस लेने के लिए दबाव बनाया। जब उसने शिकायत वापस लेने से इनकार किया तो एसडीएम ने उन्हें दिन भर पुलिस थाने में बैठाकर रखा। इधर, एसडीएम ने इस आरोप से इनकार किया है। उनका कहना है, कि किसान कार्यालय में आकर हंगामा कर रहा था इसलिए उसे पुलिस की मदद से कार्यालय के बाहर किया था।
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संग्रामपुर के किसान तख्तसिंह सहरिया ने बुधवार को तहसील कार्यालय में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के नाम ज्ञापन दिया। जिसमें उसने बताया कि उसे अब तक प्रधानमंत्री सम्मान निधि की राशि नहीं मिली है। पिछले माह उसने राशि नहीं मिलने की शिकायत की थी। जिस पर एसडीएम ने उन्हें कार्यालय में बुलाकर उनकी राशि दिलवाने का आश्वासन दिया था, लेकिन 15 दिनों बाद भी राशि नहीं मिलने पर उसने दोबारा सीएम हेल्पलाइन में शिकायत कर दी। इसके बाद एसडीएम ने उन्हें बीते मंगलवार को जनसुनवाई में आने को कहा। जब वे पहुंचे तो एसडीएम ने कहा कि उन्होंने सारी प्रक्रिया कर दी है। जिस पर एसडीएम भड़क गए। उन्होंने अभद्र व्यवहार करते हुए पुलिस बुलाकर थाने भेज दिया।
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थाने ले जाकर किसान को पुलिस ने दिन भर थाने में बैठाकर रखा। थाने के टीआई का कहना था कि अगले दिन एसडीएम साहब के पास जाकर माफी मांग लेना। इधर, एसडीएम राय का कहना है कि किसान झूठे आरोप लगा रहा है। उन्होंने हेल्पलाइन में शिकायत मिलने के बाद किसान की पूरी मदद एवं कागजी प्रक्रिया पूरी की। इसके बाद उनका नाम पोर्टल पर दर्ज करने के लिए भेज दिया गया। किसान को सारी प्रक्रिया की जानकारी देते हुए शिकायत वापस लेने की बात कही थी। जिस पर किसान कार्यालय में हंगामा कर शांति भंग कर रहा था। इसके बाद उन्होंने किसान को कार्यालय से बाहर निकलवाया था। वही शमशाबाद टीआई ने किसी को थाने में बैठाने की जानकारी से ही इनकार कर दिया। मामले में मध्यप्रदेश मानव अधिकार आयोग ने कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक, विदिशा से एक माह में जवाब मांगा है।