Vidisha News: कुश कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष नारायण सिंह कुशवाहा के साथ कुछ लोगों ने की मारपीट, जमीनी विवाद बताई जा रही वजह

मीडिया से बात करते हुए राजकुमार कुशवाह ने बताया कि उनकी छोटी बहन से नारायण सिंह कुशवाहा को कुछ पैसे लेना था। इसी बहाने नारायण सिंह कुशवाहा द्वारा बहन की जमीन जबरदस्ती खरीद कर उसकी रजिस्ट्री करवाने का काम कर रहे थे।

Shashank Baranwal
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Vidisha News: मध्य प्रदेश विदिशा जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां कलेक्टर परिसर में स्थित रजिस्टर कार्यालय में जमकर मारपीट हुई, जिसके कारण हड़कंप मच गया। दरअसल, जिस व्यक्ति के साथ मारपीट का वीडियो दिखाई दे रहा है वह कोई और नहीं मध्य प्रदेश कुश कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष और मंत्री नारायण सिंह कुशवाहा हैं। बता दें बोर्ड के अध्यक्ष नारायण सिंह कुशवाहा और मोहन गिरी के निवासी राजकुमार कुशवाहा के बीच हुई है।

दोनों पक्षों ने थानें में दर्ज कराई शिकायत

इस घटना का वीडियो वायरल होने के बाद मोहन गिरी निवासी राजकुमार कुशवाहा और उनके अन्य भाई कोतवाली थाने पहुंचकर नारायण सिंह कुशवाहा के खिलाफ शिकायती आवेदन देने की बात कही है। वहीं नारायण सिंह कुशवाहा ने भी इनके खिलाफ लिखित आवेदन देते हुए मारपीट का आरोप लगाया।

जमीन विवाद को लेकर हुई मारपीट

मीडिया से बात करते हुए राजकुमार कुशवाह ने बताया कि उनकी छोटी बहन से नारायण सिंह कुशवाहा को कुछ पैसे लेना था। इसी बहाने नारायण सिंह कुशवाहा द्वारा बहन की जमीन जबरदस्ती खरीद कर उसकी रजिस्ट्री करवाने का काम कर रहे थे। वहीं इस मामले को लेकर नारायण सिंह कुशवाहा का कहना है कि उनकी बहन अपने हिस्से की जमीन किसी और को बेच रही थी जिसे इनके भाईयों द्वारा कब्जा किया गया है। इसीलिए राजकुमार कुशवाहा और उनके भाइयों ने मारपीट की।

विदिशा से ममता पांडे की रिपोर्ट

 


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पत्रकारिता उन चुनिंदा पेशों में से है जो समाज को सार्थक रूप देने में सक्षम है। पत्रकार जितना ज्यादा अपने काम के प्रति ईमानदार होगा पत्रकारिता उतनी ही ज्यादा प्रखर और प्रभावकारी होगी। पत्रकारिता एक ऐसा क्षेत्र है जिसके जरिये हम मज़लूमों, शोषितों या वो लोग जो हाशिये पर है उनकी आवाज आसानी से उठा सकते हैं। पत्रकार समाज मे उतनी ही अहम भूमिका निभाता है जितना एक साहित्यकार, समाज विचारक। ये तीनों ही पुराने पूर्वाग्रह को तोड़ते हैं और अवचेतन समाज में चेतना जागृत करने का काम करते हैं। मशहूर शायर अकबर इलाहाबादी ने अपने इस शेर में बहुत सही तरीके से पत्रकारिता की भूमिका की बात कही है–खींचो न कमानों को न तलवार निकालो जब तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालोमैं भी एक कलम का सिपाही हूँ और पत्रकारिता से जुड़ा हुआ हूँ। मुझे साहित्य में भी रुचि है । मैं एक समतामूलक समाज बनाने के लिये तत्पर हूँ।

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