MP Tourism : धार्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थलों का दीदार करने वाले प्रेमियों के लिए मध्य प्रदेश सबसे खास माना जाता है। क्योंकि यहां ऐसे कई सारे स्थल है जहां आपको धर्म, आस्था और प्रकृति का संगम देखने को मिलता है।
आज हम आपको एमपी के सतपुड़ा की हरित वादियों में बसा दिगंबर जैन तीर्थ मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। यहां की सुंदरता इतनी ज्यादा खूबसूरत है कि पर्यटकों का मन मोह लेती है। यहां हरे-भरे पहाड़ और वादियों के साथ बहते झरने किसी हिल स्टेशन से कम नजारा नहीं देते।
अगर आप हिल स्टेशन का अनुभव लेना चाहते हैं तो यहां जा सकते हैं। बता दे यहां भगवान आदिनाथ की देश की दूसरी सबसे लंबी 84 फीट पाषाण मूर्ति है। जिसके दर्शन के लिए काफी ज्यादा पर्यटक दूर-दूर से आते हैं।
खासकर यहां पर जैन संत और तप साधना वाले लोग सबसे ज्यादा आते हैं। यहां पर काफी ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव है। इसलिए इस क्षेत्र को सिद्ध क्षेत्र कहा जाता है। इस जगह का नाम है सिद्धक्षेत्र बावनगजा।
MP Tourism : सिद्धक्षेत्र बावनगजा –
इस मंदिर में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी भगवान की मूर्ति है। पहली मूर्ति 108 फीट की भगवान आदिनाथ की महाराष्ट्र के नासिक के पास मांगीतुंगी में है। इसके बाद कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में 57 फीट ऊंची मूर्ति बनी हुई है।
वहीं सतपुड़ा के सिद्धक्षेत्र बावनगजा में 84 फिट ऊंची मूर्ति हैं। ये मूर्ति बावनगजा में इसलिए बनाई गई क्योंकि जब पहाड़ियों पर खुदाई चल रही थी तो कई जैन मूर्तियों के भग्नावेष मिले। यहां दूर-दूर से भक्त आते हैं।
उनके लिए यहां कई व्यवस्था भी की गई है। जिससे उन्हें कोई परेशानी का सामना ना करना पड़े। आपको बता दे, हर 12 वर्ष में बावनगजा में विशेष महामस्तकाभिषेक मेला लगता है। ऐसे में भगवान का सतरंगी अभिषेक किया जाता है।
यहां है एक दर्जन से ज्यादा झरने –
बावनगजा तक आने के रास्ते में एक दर्जन से ज्यादा झरने लोगों को देखने को मिलते हैं। ये झरने उनका मन मोह लेते हैं और सुकून पहुंचाते हैं। पर्यटक इन झरनों में नहाने व पिकनिक मनाने का लुफ्त उठाते हैं। इसके अलावा आसपास बनी बड़ी बड़ी पहाड़ियां भी किसी खूबसूरत नजारें से कम नहीं है। यहां का नजारा लोगों को रोमांचित कर देता हैं।
ऐसे पहुंचे –
आप यहां इंदौर से जा रहे है तो रेल मार्ग और बस किसी से भी जा सकते हैं। वहीं बड़वानी से एक अन्य प्रमुख रेलवे स्टेशन खंड़वा है जहां से भी आप जा सकते हैं।