महाराष्ट्र सरकार ने प्राइवेट सेक्टर के कामकाज से जुड़ा बड़ा फैसला लिया है। राज्य की कैबिनेट ने कानून में संशोधन को मंजूरी देते हुए डेली वर्किंग आवर नौ से बढ़ाकर 10 घंटे कर दिए हैं। यह बदलाव उन प्रतिष्ठानों पर लागू होगा जहां 20 या उससे अधिक वर्कर्स काम करते हैं। बुधवार (3 सितंबर) को हुई कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने की। सरकार का कहना है कि इस कदम से निवेश आकर्षित करने, रोजगार पैदा करने और श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने में मदद मिलेगी। अभी तक महाराष्ट्र में प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों की शिफ्ट नौ घंटे की निर्धारित थी।
महाराष्ट्र में प्राइवेट सेक्टर की ड्यूटी बढ़ी
इस फैसले के बाद महाराष्ट्र भी उन राज्यों की सूची में शामिल हो गया है जहां पहले से ही 10 घंटे वाली शिफ्ट लागू है। इनमें कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा शामिल हैं। संशोधन के तहत महाराष्ट्र के फैक्ट्रीज एक्ट 1948 और महाराष्ट्र शॉप्स एंड एस्टेब्लिशमेंट (रेगुलेशन ऑफ एंप्लॉयमेंट एंड कंडीशन ऑफ सर्विस) एक्ट 2017 में बदलाव किए जाएंगे। सरकार का मानना है कि नए नियमों से उद्योगों में कामकाज की लचीलापन बढ़ेगा और श्रमिकों के हित भी सुरक्षित रहेंगे।
नए प्रावधानों के अनुसार, अब वर्कर्स के डेली आवर नौ से बढ़कर 12 घंटे तक हो सकते हैं। पांच घंटे की बजाय छह घंटे के बाद रेस्ट ब्रेक दिया जाएगा। ओवरटाइम की सीमा भी प्रति तिमाही 115 घंटे से बढ़ाकर 144 घंटे कर दी गई है। साथ ही, वीकली वर्किंग आवर 10.5 से बढ़कर 12 घंटे हो जाएंगे। हालांकि, इसके लिए वर्कर्स की लिखित सहमति अनिवार्य होगी। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि ओवरटाइम का भुगतान डबल रेट पर किया जाएगा ताकि श्रमिकों को उनका पूरा हक मिल सके।
इसके अलावा, 20 से कम वर्कर्स वाले प्रतिष्ठानों को अब रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं होगी, लेकिन उन्हें प्राधिकरणों को इसकी सूचना देनी होगी। सरकार का दावा है कि यह कदम ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देगा, नए निवेश लाने में मदद करेगा और राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ाएगा। श्रम विभाग ने यह प्रस्ताव बीते हफ्ते ही कैबिनेट के सामने रखा था, जिसे अब मंजूरी मिल चुकी है। इस फैसले को उद्योग जगत के लिए एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।





