भाजपा प्रवक्ता नेहा बग्गा का शोभा ओझा पर तंज, कहा-कांग्रेस प्रवक्ता के तौर पर कर रही काम

Gaurav Sharma
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। सीएम शिवराज के कमलनाथ को लिखे पत्र को लेकर मध्यप्रदेश की महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने पलटवार किया था। शोभा ओझा के पलटवार पर भाजपा प्रवक्ता नेहा बग्गा ने शोभा ओझा को घेरते हुए एक वीडियो सांझा किया है।

वीडियो में नेहा बग्गा ने शोभा ओझा को घेरते हुए कहा कि आप तीन दिन से चुप थी, जब एक दलित और मध्यप्रदेश सरकार की महिला मंत्री इमरती देवी के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल मध्यप्रदेश के कांग्रेस के अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा किया गया। जो नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ ने किया वो बहुत ही निंदनिय है।

जो पूर्व CM कमलनाथ ने किया और कहा है, आज आप उनके बचाव में सामने आई है। मेरे दिल मे पीड़ा उठ रही है, दिल में दर्द उठ रहा है कि जो महिलाएं आपकी ओर इंसाफ के लिए टकटकी लगाकर देखती है आप निष्पक्ष तौर पर जांच नहीं करवाती , आप निष्पक्ष होकर उनके हक की लड़ाई नहीं लड़ रही, आप कांग्रेस की प्रवक्ता के तौर पर सामने आकर बोल रही है।

 

यह सब अभी का नहीं है बल्कि आप तब भी चुप थी जब जीतू पटवारी ने महिलाओ पर आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था , आप तब भी चुप थी जब सुरेश राजे अपनी घिनौनी भाषा सामने लाये थे, आप तब भी चुप थी जब शशांक भार्गव ने इतने निचले स्तर की भाषा केंद्रीय मंत्री के लिए कही थी , आप तब भी चुप थी जब राहुल सिंह भैया ने इमरती देवी को जलेबी देवी कह दिया और आप अब भी चुप है जब कमलनाथ ने एक दलित महिला को आइटम कह दिया ।

कैसे मध्यप्रदेश की महिलाएं आपसे इंसाफ की गुहार लगाएंगी, कैसे मध्यप्रदेश की महिलाएं आपसे उम्मीद रखकर आ पाएंगी , जब आपके ही नेता राहुल गांधी जी ने इस बयान को अस्वीकार किया है। उसके बावजूद आप कमलनाथ जी की तरफदारी कर रही है ।


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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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