MP Byelection 2020 : सुरखी से अब केवल 15 प्रत्याशी मैदान में‌, 7 ने लिए नाम वापिस

Gaurav Sharma
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दमोह उपचुनाव

सागर/सुरखी, शुभम् पाठक। मध्यप्रदेश में 28 (MP Byelection 2020) सीटों को लेकर उपचुनाव होना है। इस उपचुनाव में सागर की सुरखी सीट काफी महत्वपूर्व सीट मानी जा रही है। सुरखी सीट पर चुनाव लड़ने के लिए प्रत्याशियों के नामांकन भरने कि अंतिम तारीख 16 अक्टूबर थी।

वहीं सुरखी उपचुनाव (surkhi seat of MP Byelection 2020) के लिए कुल 22 प्रत्याशियों ने रिटार्निक‌‌ ऑफिस में अपने ‌नामांकन के लिए फार्म भरे थे। वहीं आज नाम वापिस लेने की अंतिम दिन था। सोमवार तक सुरखी से कुल 22‌ उम्मीदवारों में से 7 उम्मीदवारों ने अपने नाम वापिस ले लिए है। साथ ही अब मैदान में कांग्रेस, भाजपा , सपा, बसपा ‌और अन्य सहित कुल 15 उम्मीदवार सुरखी के चुनावी मैदान मे‌ खड़े हुए हैं।

सुरखी‌ के इस चुनावी दंगल में अहम मुकाबला तो कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए सिंधिया समर्थक परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंद सिंह राजपूत और कांग्रेस की पारुल साहू के मध्य है। इसी‌ के लिए ही दोनों पार्टियों ‌के‌‌ नेता अपनी अपनी जीत के‌ लिए प्रतिदिन चुनावी सभाएं और कार्यक्रम ‌कर रहे है।

इस उपचुनाव के लिए 3 नबबंर को मतदान और 10- नबबंर को मतदान के नतीजे आने है। 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव (MP Byelection 2020) के नतीजे आने के बाद ही सुरखी और मध्यप्रदेश का भाग्य निश्चित होगा कि वर्तमान की भाजपा सरकार सत्ता में बनी रहेगी या फिर कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस की फिर‌ वापिसी होगी।

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पत्रकारिता पेशा नहीं ज़िम्मेदारी है और जब बात ज़िम्मेदारी की होती है तब ईमानदारी और जवाबदारी से दूरी बनाना असंभव हो जाता है। एक पत्रकार की जवाबदारी समाज के लिए उतनी ही आवश्यक होती है जितनी परिवार के लिए क्यूंकि समाज का हर वर्ग हर शख्स पत्रकार पर आंख बंद कर उस तरह ही भरोसा करता है जितना एक परिवार का सदस्य करता है। पत्रकारिता मनुष्य को समाज के हर परिवेश हर घटनाक्रम से अवगत कराती है, यह इतनी व्यापक है कि जीवन का कोई भी पक्ष इससे अछूता नहीं है। यह समाज की विकृतियों का पर्दाफाश कर उन्हे नष्ट करने में हर वर्ग की मदद करती है।इसलिए पं. कमलापति त्रिपाठी ने लिखा है कि," ज्ञान और विज्ञान, दर्शन और साहित्य, कला और कारीगरी, राजनीति और अर्थनीति, समाजशास्त्र और इतिहास, संघर्ष तथा क्रांति, उत्थान और पतन, निर्माण और विनाश, प्रगति और दुर्गति के छोटे-बड़े प्रवाहों को प्रतिबिंबित करने में पत्रकारिता के समान दूसरा कौन सफल हो सकता है।

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